कड़ी मेहनत के बावजूद क्या आपको लगता है सफलता हमेशा आपसे दूर है? कालसर्प दोष की उपस्थिति जीवन में ऐसे भारी साये की तरह महसूस हो सकती है, जो आपके विकास और खुशियों में बाधा बनता है 🌑🌟
कड़ी मेहनत के बावजूद क्या आपको लगता है सफलता हमेशा आपसे दूर है? कालसर्प दोष की उपस्थिति जीवन में ऐसे भारी साये की तरह महसूस हो सकती है, जो आपके विकास और खुशियों में बाधा बनता है 🌑🌟
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कड़ी मेहनत के बावजूद क्या आपको लगता है सफलता हमेशा आपसे दूर है? कालसर्प दोष की उपस्थिति जीवन में ऐसे भारी साये की तरह महसूस हो सकती है, जो आपके विकास और खुशियों में बाधा बनता है 🌑🌟
बुधवार काल सर्प त्र्यंबकेश्वर गोदावरी क्षेत्र विशेष

काल सर्प दोष शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक

निडरता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए
temple venue
श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र
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कड़ी मेहनत के बावजूद क्या आपको लगता है सफलता हमेशा आपसे दूर है? कालसर्प दोष की उपस्थिति जीवन में ऐसे भारी साये की तरह महसूस हो सकती है, जो आपके विकास और खुशियों में बाधा बनता है 🌑🌟

क्या आपको लगता है कि कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता हमेशा हाथ से फिसल जाती है? जीवन में रुकावटें और बेचैनी बनी रहती हैं? ज्योतिष शास्त्र में इसे कालसर्प दोष कहा गया है। जब जन्मकुंडली के सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो यह विशेष योग बनता है। इसे एक अदृश्य नाग के समान माना जाता है, जो जीवन के हर क्षेत्र – परिवार, करियर और मानसिक शांति – में बाधाएँ उत्पन्न करता है। इस दोष के कारण अचानक संघर्ष और देरी का सामना करना पड़ सकता है। इससे व्यक्ति लगातार चिंता और भय का अनुभव करता है। इन सब कठिनाइयों से राहत पाने के लिए सर्वोत्तम उपाय है भगवान शिव की शरण लेना।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नागराज वासुकि, जो भगवान शिव के गले का आभूषण हैं, देवासुर मंथन के बाद थके और घायल होकर महादेव की शरण में आए थे। तब भगवान शिव ने उन्हें अपने गले में स्थान दिया। यह कथा दर्शाती है कि महादेव समस्त नागों के अधिपति हैं, जिनमें राहु और केतु भी सम्मिलित हैं। इसी कारण शिव की उपासना कालसर्प दोष से मुक्ति का प्रभावी उपाय मानी जाती है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में की जाने वाली कालसर्प दोष शांति पूजा इस दोष के निवारण हेतु अत्यंत श्रद्धा से की जाती है। पूजन से पहले श्रद्धालु पवित्र गोदावरी नदी में स्नान करते हैं, जिसे पाप और कर्म बंधनों को धोने वाला माना गया है। इसके बाद त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष पूजा होती है, जहाँ भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों का स्वरूप विराजमान है। इस त्रिमूर्ति की आराधना कर भक्त दोषों से मुक्ति और शांति, सफलता तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। अमावस्या जैसे विशेष दिन पर किया गया यह पूजन पूर्व जन्म के कर्मों को शांति देने और कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम करने हेतु किया जाता है।

🔸 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में सम्मिलित होकर भगवान शिव की कृपा के लिए प्रार्थना करें और जीवन में शांति एवं संतुलन का अनुभव करें।

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ एक ही स्थान पर तीन शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं। इन तीन शिवलिंग को त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का प्रतिनिधित्व माना जाता है। मंदिर के पास, ब्रह्मगिरी पर्वत से पवित्र नदी गोदावरी निकलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ ब्रह्मगिरी पर्वत पर रहते थे। अन्य ऋषियों को गौतम ऋषि से ईर्ष्या होने लगी और उन्होंने उन पर गौ हत्या का झूठा आरोप लगाया। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए, अन्य ऋषियों ने उनसे गंगा नदी को इस स्थान पर लाने के लिए कहा। चूंकि मां गंगा का पृथ्वी पर आना संभव नहीं था, इसलिए ऋषि गौतम ने एक शिवलिंग की स्थापना की और उसकी पूजा करने लगे। ऋषि गौतम की सच्ची भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए। भगवान शिव ने ऋषि गौतम से एक इच्छा करने को कहा और उन्होंने गंगा नदी को इस स्थान पर उतरने का अनुरोध किया। देवी गंगा ने इसी शर्त पर ऋषि की इच्छा पूरी करने के लिए मानी जब महादेव उस स्वयं उस स्थान पर निवास करेंगे। गंगा की इच्छा को स्वीकार करते हुए, भगवान शिव ने स्वयं को त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट किया। अंततः गंगा यहां गोदावरी नदी के रूप में प्रकट हुई। गोदावरी को दक्षिण गंगा के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे इस और पिछले जन्मों में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। भक्त आर्थिक समस्याओं एवं नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने के लिए भी यहाँ भगवान शिव की पूजा करते हैं।

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