निडरता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए केतु का दिन राहु पैठाणी विशेष काल सर्प दोष शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक
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केतु का दिन राहु पैठाणी विशेष

काल सर्प दोष शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक

निडरता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए
temple venue
राहु पैठाणी मंदिर , पौड़ी, उत्तराखंड
pooja date
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निडरता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए केतु का दिन राहु पैठाणी विशेष काल सर्प दोष शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि आप भय, मानसिक अस्थिरता या भावनात्मक अशांति का अनुभव कर रहे हैं, तो आप काल सर्प दोष से प्रभावित हो सकते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में सांप और मृत व्यक्ति दिखाई देने लगते हैं और उन्हें मानसिक अस्थिरता, अकेलेपन की भावना, बेवजह गुस्सा, बार-बार व्यापार में घाटा, रिश्तों में परेशानी और खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। काल सर्प दोष तब होता है जब कुंडली में सभी सात ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। इस दोष को ज्योतिष विद्या में सबसे अशुभ योगों में से एक माना गया है। माना जाता है कि इस दोष के कारण जीवन में अलगाव, हानि, लक्ष्यहीन, भटकाव और भ्रम जैसी भावना पैदा होती है, जो वैवाहिक जीवन और रिश्तों में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। जहां ज्योतिष शास्त्र में इस दोष के बारे में बताया गया है, वहीं उसमें इस दोष के निवारण का भी उपाय बताया गया है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दोष से राहत प्राप्त करने के लिए बुधवार के दिन काल सर्प दोष शांति पूजा करना चाहिए, क्योंकि बुधवार का दिन केतु को समर्पित है। यदि यह पूजा राहु पैठाणी मंदिर में की जाए तो यह और अधिक फलदायी हो सकती है, क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव के साथ राहु की भी पूजा की जाती है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा बुधवार के दिन उत्तराखंड में स्थित राहु पैठाणी मंदिर में काल सर्प दोष शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक का आयोजन कराया जा रहा है। मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने से काल सर्प दोष से राहत मिलती है, क्योंकि काल सर्प दोष राहु और केतु ग्रह के कारण होता है और राहु एवं केतु दोनों ही भगवान शिव के उपासक हैं। यही कारण है कि यह पूजा राहु पैठाणी मंदिर में आयोजित की जा रही है। मान्यता है कि पांडवों ने भी इस मंदिर में भगवान शिव और राहु की पूजा की थी। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव द्वारा निडरता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने का आशीर्वाद प्राप्त करें।

राहु पैठाणी मंदिर ,पौड़ी, उत्तराखंड

राहु पैठाणी मंदिर ,पौड़ी, उत्तराखंड
उत्तराखंड में स्थित इस राहु मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ राहु की भी पूजा की जाती है। यह देश के उन मंदिरों में से है, जहां राहु की पूजा भगवान श‍िव के साथ होती है। माना जाता है कि राहु और केतु स्वरभानु नामक असुर के शरीर के भाग हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब स्वरभानु ने देवताओं की पंगत में बैठकर छल से अमृत पी लिया तभी भगवान विष्णु को उसके छल का पता चल गया और उन्होनें अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था, जिससे कि वह अमर न हो जाए, लेक‍िन अमृत चखने के कारण स्वरभानु तो अमर हो गया था। स्वरभानु का न‍ि‍चला ह‍िस्‍सा केतु बना तो धड़ से ऊपर स‍िर वाला भाग राहु कहलाया। यही स‍िर वाला हिस्सा सुदर्शन से कटने के बाद पौड़ी में स्‍थ‍ित इसी स्थान पर गिरा जो राहु मंदि‍र के नाम से जाना गया।

मान्यता है कि राहु के कारण उत्पन्न होने वाले विभिन्न दोषों को दूर करने के लिए लोग राहु के मंदिर में जाते हैं। वहीं यहां विशेष रूप से कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष, और राहु महादशा से राहत पाने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर वर्णित है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। लेकिन इस मंदिर को लेकर एक और कथा है जिसमें बताया गया है कि इसका निर्माण पांडवों ने उस समय करवाया जब वो स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे, तब राहु दोष से बचने के लिए पांडवों ने इसी मंदिर में भगवान शिव और राहु की पूजा की थी।

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