🌑 इस अमावस्या नकारात्मक शक्तियों पर होगा त्रिदेवों का प्रहार ⚔️🔥
🙏 जुड़िए हनुमान, भैरव और काली के संपूर्ण सुरक्षा महायज्ञ में – और पाएं संकटों से मुक्ति का दिव्य कवच💥🛡️
सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है। पुराणों के अनुसार, इस दिन नकारात्मक ऊर्जाएं अपने चरम पर होती है, इसलिए इसे विशेष पूजा-पाठ और तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त समय माना जाता है। अमावस्या पर विशेष रूप से भगवान हनुमान, भगवान भैरव और माँ काली की उपासना की जाती है, जो नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाले माने जाते हैं। भगवान हनुमान जिनको शिवजी का अंश अवतार माना जाता है। वह संकटमोचन के रूप में प्रसिद्ध हैं। रामायणकाल में भी उनकी वीरता, भक्ति और बलिदान का वर्णन मिलता है। जहाँ उन्होंने समुद्र पार कर सीता माता तक भगवान राम का संदेश पहुँचाया और रावण जैसे शक्तिशाली राक्षस से टक्कर लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण है कि हनुमान जी की पूजा से अदृश्य बाधाओं, शारीरिक संकटों और मानसिक अशांति से मुक्ति मिलती है।
दूसरी तरफ भगवान भैरव, शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं। एक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव का अपमान किया, तब शिव ने काल भैरव का रूप धारण कर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया, जिसे ब्रह्महत्या का पाप कहा गया। इस पाप से मुक्त होने के लिए भैरव को पृथ्वी पर आकर तप करना पड़ा, और काशी में उन्हें मुक्ति मिली। तभी से वह काशी के कोतवाल माने जाते हैं और बुरी शक्तियों से नगर की रक्षा करते हैं। वहीं माँ काली, शक्ति की परम स्वरूपा हैं, जो राक्षस रक्तबीज का वध कर प्रसिद्ध हुईं। उन्होंने अपनी जीभ से रक्त को धरती पर गिरने से रोका और नकारात्मकता का अंत किया। उनका स्वरूप भयावह होते हुए भी भक्तों के लिए अत्यंत करुणामयी और रक्षक है। कहते हैं कि इन तीनों दिव्य शक्तियों की संयुक्त आराधना से नकारात्मक ऊर्जा, दुश्मनों की बाधा और अदृश्य संकटों से मुक्ति मिलती है। इसीलिए इस अमावस्या पर कोलकाता के शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में “श्री हनुमान, भैरव और महाकाली संपूर्ण सुरक्षा महायज्ञ” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भाग लेकर भक्त दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सुरक्षा, शांति एवं सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकते हैं।