पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्राद्ध दशमी यमुनोत्री विशेष पितृ दोष शांति एवं यम दंड मुक्ति महापूजा
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पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्राद्ध दशमी यमुनोत्री विशेष पितृ दोष शांति एवं यम दंड मुक्ति महापूजा
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श्राद्ध दशमी यमुनोत्री विशेष

पितृ दोष शांति एवं यम दंड मुक्ति महापूजा

पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए
temple venue
श्री यमुनोत्री धाम, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
pooja date
27 September, Friday, श्राद्ध दशमी
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पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्राद्ध दशमी यमुनोत्री विशेष पितृ दोष शांति एवं यम दंड मुक्ति महापूजा

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए किये जाने वाले सभी अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष की हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, जिसमें से दशमी तिथि भी एक है। इसे दशमी श्राद्ध भी कहते हैं। इस तिथि पर उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंदु पंचांग के अनुसार, किसी भी मास की दशमी तिथि को हुई हो। वहीं सनातन धर्म में दशमी तिथि देव यमराज को समर्पित है। देव यमराज मृत्यु के देवता और पितरों के अधिपति है। यही कारण है कि पितृ पक्ष की दशमी तिथि पितृ दोष शांति महापूजा के लिए सबसे शुभ तिथियों में से एक है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक के जीवन में आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान दशमी तिथि पर पितृ दोष शांति पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। यदि दशमी तिथि पर इस पूजा के साथ यम दंड मुक्ति महापूजा भी की जाए तो यह अनुष्ठान और अधिक फलदायी हो सकता है, क्योंकि इस पूजा से पितरों के अधिपति देव यमराज प्रसन्न होते हैं और अपना दिव्य आशीष प्रदान करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, देवी यमुना की पूजा से भी देव यमराज प्रसन्न होते हैं, क्योंकि यमुना देवी सूर्य देव की पुत्री और देव यमराज (मृत्यु के देवता) की बहन है। पौराणिक कथानुसार, जब यमुना देवी ने एक नदी के रूप में पृथ्वी पर प्रवाह शुरू किया था, तब उनके भाई देव यमराज को मृत्यु लोक का अधिपति बनाया गया था। इस अवसर पर यमुना देवी ने अपने भाई यमराज के साथ भाई दूज का पर्व भी मनाया था। इस मौके पर देव यमराज ने अपनी बहन की भक्ति और प्रेम से प्रसन्न होकर, उनसे वरदान मांगने का आग्रह किया था। यमुना देवी की प्रार्थना सुनकर यमराज ने उन्हें वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति यमुना के पवित्र जल में स्नान करेगा या उनके तट पर श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करेगा, उसे यमलोक का मार्ग नहीं देखना पड़ेगा। क्योंकि यमुना देवी स्वयं मृत्यु के देवता और पितरों के रक्षक यमराज की बहन हैं, इसलिए उनके जल में स्नान करने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए, पितृ पक्ष की दशमी तिथि के शुभ अवसर पर श्री यमुनोत्री धाम में पितृ दोष शांति एवं यम दंड मुक्ति महापूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लें और पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं।

श्री यमुनोत्री धाम,उत्तरकाशी, उत्तराखंड

श्री यमुनोत्री धाम,उत्तरकाशी, उत्तराखंड
यमुनोत्री धाम, पवित्र छोटे चार धाम यात्राओं में से एक है। जिसकी शुरुआत यहां से होती है। यहाँ तीर्थयात्री अपनी यात्रा को सुरक्षित और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए देवी यमुना का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। देवी यमुना को समर्पित यह मंदिर उत्तरकाशी जिले में, यमुना नदी के किनारे स्थित है। यमुनोत्री धाम की एक विशेष और अनोखी रस्म यह है कि यहां सूर्य कुंड नामक गर्म जलकुंड का उपयोग किया जाता है, जो मंदिर के निकट स्थित है। भक्तगण इस कुंड में आलू और चावल पकाते हैं और इन पके हुए सामानों को मंदिर में चढ़ाते हैं और चावल को प्रसाद के रूप में घर ले जाते हैं।

ऐतिहासिक रूप से, माना जाता है कि यमुनोत्री का मूल मंदिर 19वीं शताब्दी में जयपुर की महारानी गुलेरिया द्वारा बनवाया गया था। हालांकि, कुछ अन्य स्रोतों के अनुसार इसका निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने करवाया था। समय-समय पर, प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के कारण इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार किया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि असित मुनि इस क्षेत्र में निवास करते थे और प्रतिदिन गंगा और यमुना दोनों नदियों में स्नान करते थे। अपनी वृद्धावस्था में, जब वह गंगोत्री तक यात्रा नहीं कर सके, तब उनके लिए यमुनोत्री के निकट गंगा की एक धारा चमत्कारिक रूप से प्रकट हुई, जिससे वे अपने नियमित स्नान को जारी रख सके। इसके अलावा, देवी यमुना को सूर्य देव की पुत्री और मृत्यु के देवता यमराज की बहन माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त यमुना देवी की पूजा करते हैं, उन्हें सूर्य देव और यमराज दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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व्यक्तिगत पूजा

अधिकतम 1 व्यक्ति के लिए पूजा कराएं
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के नाम के साथ आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पितृ पूजा के आशीष के रूप में गंगाजल 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

पार्टनर पूजा

अधिकतम 2 व्यक्ति के लिए पूजा कराएं
1251
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 2 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पितृ पूजा के आशीष के रूप में गंगाजल 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

पारिवारिक पूजा

अधिकतम 4 सदस्यों के लिए पूजा कराएं
2001
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 4 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
पूजा के अंत में फल, मिठाई और सूखे मेवे का प्रसाद चढ़ाया जाएगा
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पितृ पूजा के आशीष के रूप में गंगाजल 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

संयुक्त परिवार पूजा

अधिकतम 6 सदस्यों के लिए पूजा कराएं
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 6 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
पूजा के अंत में पुष्पांजलि के साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे का प्रसाद चढ़ाया जाएगा।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पितृ पूजा के आशीष के रूप में गंगाजल 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

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