रविवार और सूर्य अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। जब रविवार के दिन अमावस्या पड़ता है, तो इसे सूर्य अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है क्योंकि रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है और अमावस्या, अंधकार और नकारात्मकता का दिन माना जाता है। शास्त्रों में सूर्यदेव को परम ऊर्जा एवं प्रकाश का स्रोत कहा गया है, जिनकी अराधना से व्यक्ति के जीवन से अंधकार दूर होता है इसलिए अमावस्या के दिन सूर्य देव की उपासना अत्यंत फलदायी साबित हो सकती है। कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और नौकरी-कारोबार में सफलता मिलती है। माना जाता है कि कलयुग में सूर्य देव एकलौते ऐसे देव है जो प्रत्यक्ष रूप में हैं। मार्कंडेय पुराणों के अनुसार, सम्पूर्ण जगत जब अंधकार में डूबा था, तब ब्रह्मा जी के मुख से निकले प्रथम शब्द ‘ॐ’ के तेज से ही सूर्य की उत्पत्ति हुई थी। वेदों में सूर्य देव को साहस, प्रसिद्धि, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करने वाला देवता बताया गया है। कहा जाता है कि सूर्यदेव की उपासना से व्यक्ति जीवन के सभी क्षेत्र जैसे नौकरी, व्यापार, राजनीति और रिश्तों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
यही कारण है कि भक्त सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनका आशीष प्राप्त करने के लिए सूर्य महायज्ञ करते हैं। मान्यता है कि यह महायज्ञ कठिन समस्याओं का सामना करने की हिम्मत प्रदान करता है और व्यक्ति की जन्म कुंडली से बुरे प्रभावों को दूर करता है। यह यज्ञ सूर्य को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है ताकि सूर्य महादशा होने से उनके कमजोर प्रभावों से छुटकारा मिल सके। वहीं अगर यह अनुष्ठान बिहार के औरंगाबाद में स्थित देव सूर्य मंदिर जैसे पावन स्थल पर संपन्न किया जाए तो इसका महत्व कई गुना बढ जाता है। इस मंदिर में सूर्य देव अपने तीनों रूपों उदयाचल-प्रात: सूर्य, मध्याचल- मध्य सूर्य और अस्ताचल -अस्त सूर्य के रूप में विद्यमान हैं। कहा जाता है कि पूरे देश में यही एकमात्र सूर्य मंदिर है जो पूर्वाभिमुख (पूर्व की तरफ) न होकर पश्चिमाभिमुख (पश्चिम की तरफ) है। वहीं कहते हैं कि जो भी यहां सूर्य महायज्ञ करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा रविवार एवं अमावस्या के शुभ संयोग पर आयोजित होने वाले सूर्य महायज्ञ में भाग लें और सूर्यदेव का आशीष पाएं।