🌌 आखिर क्या है विष योग और इसके प्रभाव?
🔱 महाकुंभ के शुभ अवसर पर त्रिवेणी संगम पर सूर्य-शनि पूजा का हिस्सा बनें और जीवन से नकारात्मकता को दूर करने का आशीष प्राप्त करें! ✨🙏
सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों में प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित होता है। यह आयोजन तब होता है जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र अवसर पर त्रिवेणी संगम पर किए गए धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत फलदायी होते हैं। इसीलिए इस पवित्र स्थल पर सूर्य और शनि की युति से बनने वाले विष दोष के निवारण हेतु शनि वज्र पंजर कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ और सूर्य-शनि शांति पूजा का आयोजन किया जा रहा है। दरअसल विष योग के संदर्भ में ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि यह योग सूर्य और शनि की युति से बनता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति को अत्यधिक मानसिक तनाव, आत्मविश्वास की कमी और करियर में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह माना जाता है कि इस अनुष्ठान से भक्त की कुंडली में मौजूद विष दोष का प्रभाव कम कर होता है जिससे मानसिक अशांति और जीवन से नकारात्मकता को दूर होती है।
वहीं शास्त्रों में सूर्य और शनि को कट्टर शत्रु माना जाता है। पिता-पुत्र होने के बावजूद, इन दोनों के संबंध सदैव तनावपूर्ण रहे हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव का विवाह दक्ष पुत्री संज्ञा से हुआ था। परंतु संज्ञा सूर्यदेव के असहनीय तेज से परेशान थीं। जिससे बचने के लिए संज्ञा ने अपनी छाया रूप स्वर्णा का निर्माण किया। जिसके बारे में सूर्यदेव को नहीं पता था, स्वर्णा से सूर्यदेव को तपती, भद्रा और शनि नामक तीन और संतानें हुईं। शनिदेव में अपनी माता के छाया गुण आए थे। सूर्य देव को शनि के जन्म के बाद लगा कि वह उनके पुत्र नहीं हैं क्योंकि शनिदेव की दृष्टि पड़ते ही सूर्य देव का स्वर्ण रंग काला पड़ गया। इस श्राप के निवारण के लिए सूर्य देव महादेव के पास गए, जिन्होंने उन्हें संपूर्ण घटना बताई। अपनी गलती का एहसास होने पर सूर्य देव ने संज्ञा से माफी मांगी, लेकिन तब तक शनि और सूर्य के बीच संबंध खराब हो चुके थे, यही कारण है कि इसका असर आज भी कुंडली में दिखता है। कुंडली में व्याप्त इस दोष के निवारण हेतु त्रिवेणी संगम पर आयोजित शनि वज्र पंजर कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ और सूर्य-शनि शांति पूजा में श्री मंदिर के द्वारा भाग लें और सूर्य व शनि देव की कृपा से मानसिक तनाव और नकारात्मकता से मुक्ति का आशीष पाएं।