सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी विशेष देवता के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। इसी तरह, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते है और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसलिए इस दिन भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिनमें पार्थिव शिवलिंग की पूजा प्रमुख है। पुराणों में भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व बताया गया है। वहीं शिवपुराण के अनुसार, जो भी भक्त पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते हैं, उन्हें धन, समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य, नकारात्मकता से सुरक्षा और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग हमेशा पवित्र नदियों के तट पर पाई जाने वाली मिट्टी और रेत से बनाया जाना चाहिए। जिनमें से एक है नर्मदा नदी। पौराणिक कथा के अनुसार, मां नर्मदा भगवान शिव की पुत्री हैं और उनकी उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने की बूंदों से हुई थी। इसलिए माना जाता है कि नर्मदा नदी का हर पत्थर एक शिवलिंग है। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जिसे स्वयंभू लिंग माना जाता है। मान्यता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। ओंकारेश्वर मंदिर की महिमा का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और वायु पुराण में भी मिलता है। इसलिए, भगवान शिव को समर्पित सोमवार के दिन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 1100 शिवलिंग प्राणप्रतिष्ठा पार्थेश्वर पूजन आयोजित किया जाएगा। यह पूजा नर्मदा नदी के बीच नाव पर की जाएगी, जहां पार्थिव शिवलिंग बनाए जाएंगे और पूजा के बाद सभी शिवलिंगों को नर्मदा नदी में विसर्जित कर दिया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।