🔱 इस सोम प्रदोष महानुष्ठान के भागी बन महादेव से पाएं अपने और अपने परिवार के लिए दीर्घायु, बीमारी और खतरों से सुरक्षा का आशीर्वाद 🕉️
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सोम प्रदोष विशेष

11,000 महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक

आकस्मिक निधन, जानलेवा बीमारी और जान के खतरों से सुरक्षा के लिए
temple venue
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
pooja date
3 November, Monday, कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी
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🔱 सोम प्रदोष वह पावन संध्या है, जब भगवान शिव की उपासना विशेष फलदायी मानी गई है। सोमवार और प्रदोष का संगम शिव कृपा, स्वास्थ्य, शांति और परिवारिक कल्याण का आशीर्वाद देता है। इस समय शिवजी का जलाभिषेक, दीपदान और महामृत्युंजय जप अत्यंत शुभ माना गया है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 11,000 महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक का आयोजन होने जा रहा है, जो परिवार में बेहतर स्वास्थ्य का आशीष और आकस्मिक खतरों से सुरक्षा की दिशा मजबूत कर सकता है।

🔱 सोम प्रदोष के दिन 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जप अत्यंत शुभ और प्रभावी माना गया है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से महादेव का सिद्ध मंत्र है। इस दिन शिवतत्व अधिक जागृत रहता है और प्रदोषकाल में की गई साधना शीघ्र फल देने वाली होती है। महामृत्युंजय मंत्र को आयु-वृद्धि, रोग शांति, मानसिक संतुलन और जीवन रक्षा का महामंत्र कहा गया है। जब यह मंत्र 11,000 बार वेदिक परंपरा से उच्चारित होता है, तो यह गहन शांति और संरक्षण का कवच तैयार कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस जप से नकारात्मक ऊर्जा, भय और अस्थिरता दूर होकर जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और मनोबल का संचार होता है और आकस्मिक निधन जैसे खतरों से सुरक्षा की दिशा मिलती है।

🔱 सोम प्रदोष को हिंदू परंपरा में अत्यंत शुभ और शक्तिशाली काल माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इस काल में की गई पूजा, साधना और मंत्र जाप साधारण दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फल प्रदान करते हैं। विशेष रूप से सोमवार का प्रदोष, जब भक्ति का पहला दीप जलता है, वह समय शिव कृपा को आमंत्रित करने का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है। सनातन परंपरा में भगवान शिव को केवल संहारकर्ता नहीं, बल्कि उपचार, उध्दार और करुणा के देवता माना गया है। वे त्रिनेत्रधारी योगेश्वर हैं, जो मृत्यु को भी रोक सकते हैं, रोगों को शांत करते हैं और अपने भक्तों को डर से राहत दिलाते हैं।

🔱 भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु महामृत्युंजय मंत्र को सनातन परंपरा में एक अत्यंत प्रभावशाली और सिद्ध मंत्र माना गया है। यह विशेष रूप से रोग, भय और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए उच्चतम आध्यात्मिक उपायों में गिना जाता है। इसी दिव्य तत्व को केंद्र में रखते हुए, श्री मंदिर द्वारा सोम प्रदोष पर एक ऐतिहासिक महामृत्युंजय महा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान भारत के एक प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में सम्पन्न होगा, जो अपने आप में सुनहरा अवसर है।

आखिर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही क्यों? 🔱🕉️

ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक अत्यंत पवित्र स्थल है, जहाँ मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। पुराणों में वर्णित है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा मंदाता ने यहीं कठोर तप करके अपने वंश को रोग और असमय मृत्यु के संकट से मुक्त कराया था। इन्हीं आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कारणों से यह विशेष अनुष्ठान ओंकारेश्वर में संपन्न हो रहा है, ताकि मंत्रों की शक्ति और इस तीर्थ की ऊर्जा मिलकर श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक आध्यात्मिक लाभ दे सकें।

आप भी सोम प्रदोष के इस शुभ अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में सहभागी बनें और भगवान शिव से रोग, भय और असमय मृत्यु से रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, इन्हें स्वयंभू लिंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नाम के द्वीप पर स्थित है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूप में मौजूद है। जिनमें से एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनकी गणना एक ही की जाती है। ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था। वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है। मान्यता है कि मां नर्मदा भी यहां स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। शास्त्रों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख है।

पौराणिक कथा के अनुसार भोलेनाथ तीनों लोकों के भ्रमण के बाद यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। कहते हैं पृथ्वी पर ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं। रात्रि में शयन आरती के बाद यहां प्रतिदिन चौपड़ बिछाए जाते हैं और गर्भग्रह बंद कर दिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है वहां हर दिन चौपड़ बिखरे पाए जाते हैं। यह तथ्य इस मंदिर के धार्मिक महत्व को और बढा देता है यही कारण है कि सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं।

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के नाम के साथ आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र सेवा, अन्नसेवा, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, पंचमेवा, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

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