🔱 सोम प्रदोष वह पावन संध्या है, जब भगवान शिव की उपासना विशेष फलदायी मानी गई है। सोमवार और प्रदोष का संगम शिव कृपा, स्वास्थ्य, शांति और परिवारिक कल्याण का आशीर्वाद देता है। इस समय शिवजी का जलाभिषेक, दीपदान और महामृत्युंजय जप अत्यंत शुभ माना गया है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 11,000 महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक का आयोजन होने जा रहा है, जो परिवार में बेहतर स्वास्थ्य का आशीष और आकस्मिक खतरों से सुरक्षा की दिशा मजबूत कर सकता है। 
🔱 सोम प्रदोष के दिन 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जप अत्यंत शुभ और प्रभावी माना गया है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से महादेव का सिद्ध मंत्र है। इस दिन शिवतत्व अधिक जागृत रहता है और प्रदोषकाल में की गई साधना शीघ्र फल देने वाली होती है। महामृत्युंजय मंत्र को आयु-वृद्धि, रोग शांति, मानसिक संतुलन और जीवन रक्षा का महामंत्र कहा गया है। जब यह मंत्र 11,000 बार वेदिक परंपरा से उच्चारित होता है, तो यह गहन शांति और संरक्षण का कवच तैयार कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस जप से नकारात्मक ऊर्जा, भय और अस्थिरता दूर होकर जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और मनोबल का संचार होता है और आकस्मिक निधन जैसे खतरों से सुरक्षा की दिशा मिलती है।
🔱 सोम प्रदोष को हिंदू परंपरा में अत्यंत शुभ और शक्तिशाली काल माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इस काल में की गई पूजा, साधना और मंत्र जाप साधारण दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फल प्रदान करते हैं। विशेष रूप से सोमवार का प्रदोष, जब भक्ति का पहला दीप जलता है, वह समय शिव कृपा को आमंत्रित करने का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है। सनातन परंपरा में भगवान शिव को केवल संहारकर्ता नहीं, बल्कि उपचार, उध्दार और करुणा के देवता माना गया है। वे त्रिनेत्रधारी योगेश्वर हैं, जो मृत्यु को भी रोक सकते हैं, रोगों को शांत करते हैं और अपने भक्तों को डर से राहत दिलाते हैं।
🔱 भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु महामृत्युंजय मंत्र को सनातन परंपरा में एक अत्यंत प्रभावशाली और सिद्ध मंत्र माना गया है। यह विशेष रूप से रोग, भय और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए उच्चतम आध्यात्मिक उपायों में गिना जाता है। इसी दिव्य तत्व को केंद्र में रखते हुए, श्री मंदिर द्वारा सोम प्रदोष पर एक ऐतिहासिक महामृत्युंजय महा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान भारत के एक प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में सम्पन्न होगा, जो अपने आप में सुनहरा अवसर है। 
आखिर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही क्यों? 🔱🕉️ 
ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक अत्यंत पवित्र स्थल है, जहाँ मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। पुराणों में वर्णित है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा मंदाता ने यहीं कठोर तप करके अपने वंश को रोग और असमय मृत्यु के संकट से मुक्त कराया था। इन्हीं आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कारणों से यह विशेष अनुष्ठान ओंकारेश्वर में संपन्न हो रहा है, ताकि मंत्रों की शक्ति और इस तीर्थ की ऊर्जा मिलकर श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक आध्यात्मिक लाभ दे सकें।
आप भी सोम प्रदोष के इस शुभ अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में सहभागी बनें और भगवान शिव से रोग, भय और असमय मृत्यु से रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।