🔱 क्या आप जीवन में सफलता और आंतरिक शांति, दोनों की कामना करते हुए संतुलन की कमी महसूस करते हैं? हरि (विष्णु) और हर (शिव) की संयुक्त ऊर्जा सृष्टि और स्थिरता का पूर्ण संतुलन लाती है।
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🔱 क्या आप जीवन में सफलता और आंतरिक शांति, दोनों की कामना करते हुए संतुलन की कमी महसूस करते हैं? हरि (विष्णु) और हर (शिव) की संयुक्त ऊर्जा सृष्टि और स्थिरता का पूर्ण संतुलन लाती है।
🔱 क्या आप जीवन में सफलता और आंतरिक शांति, दोनों की कामना करते हुए संतुलन की कमी महसूस करते हैं? हरि (विष्णु) और हर (शिव) की संयुक्त ऊर्जा सृष्टि और स्थिरता का पूर्ण संतुलन लाती है।
🔱 क्या आप जीवन में सफलता और आंतरिक शांति, दोनों की कामना करते हुए संतुलन की कमी महसूस करते हैं? हरि (विष्णु) और हर (शिव) की संयुक्त ऊर्जा सृष्टि और स्थिरता का पूर्ण संतुलन लाती है।
शिव-विष्णु सोमवार-एकादशी कमलेश्वर स्पेशल

हरिहर संयुक्त पूजा और 1,800 बिल्व-तुलसी अर्चना

समग्र कल्याण के लिए संरक्षण (विष्णु) और परिवर्तन (शिव) का संयुक्त आशीर्वाद
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कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर, उत्तराखंड
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🔱 क्या आप जीवन में सफलता और आंतरिक शांति, दोनों की कामना करते हुए संतुलन की कमी महसूस करते हैं? हरि (विष्णु) और हर (शिव) की संयुक्त ऊर्जा सृष्टि और स्थिरता का पूर्ण संतुलन लाती है।

🪷 आपके जीवन में भी ऐसे पल जरूर आए होंगे, जब एक समय सफलता मिलती है और अगले ही पल चुनौतियाँ सामने आ जाती हैं। बहुत से भक्त एक स्थिर, समृद्ध जीवन चाहते हैं, लेकिन साथ ही वे आध्यात्मिक उन्नति और दुनियावी चिंताओं से मुक्ति भी चाहते हैं। यह भौतिक सुख और आध्यात्मिक विकास का संगम भगवान श्री विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) की दिव्य एकता में मिलता है। जब एकादशी की तिथि (श्री विष्णु को समर्पित) सोमवार (भगवान शिव को समर्पित) को आती है, तब एक दुर्लभ और अत्यंत शुभ हरिहर योग बनता है—यह समय जब दोनों देवताओं की ऊर्जा अत्यधिक प्रबल और सुलभ होती है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के श्री कमलेश्वर महादेव मंदिर में हरिहर संयुक्त पूजा और 1,800 बिल्व-तुलसी अर्चना होने जा रही है।

मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर शिव की आराधना की थी और जब एक कमल पुष्प अदृश्य हो गया, तो उन्होंने अपनी आंख अर्पित कर भक्ति का अनुपम उदाहरण दिया। इससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। आज भी यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो अपने जीवन में महादेव-श्री विष्णु की संयुक्त कृपा की कामना रखते हैं। …तो देर न करें आप भी श्री मंदिर माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और हरिहर से समग्र कल्याण हेतु दिव्य आशीष की प्राप्ति करें।

🪷 शास्त्रों के अनुसार हरिहर का अर्थ है कि सृष्टि, पालन और संहार की दिव्य शक्तियाँ अंततः एक ही परम शक्ति हैं। एक प्रसिद्ध कथा में बताया गया है कि एक दैत्य ने देवों की श्रेष्ठता को चुनौती दी। तब भगवान विष्णु और भगवान शिव ने यह दिखाने के लिए कि उनमें कोई भेद नहीं है, अपने रूपों को मिलाकर एक अद्भुत और तेजस्वी स्वरूप धारण किया—जिसे हरिहर मूर्ति कहा गया। यह रूप सिखाता है कि सच्चा कल्याण तभी मिलता है जब हम अपने भौतिक जीवन (पालन) और आध्यात्मिक लक्ष्य (परिवर्तन) में संतुलन बना पाते हैं। यही हरिहर रूप पूर्ण सुख और संतोष का प्रतीक है। बेल अर्चना महादेव और तुलसी दल श्री विष्णु के चरणों में अर्पित कर भक्तों को जीवन में नए बदलाव और उन्नति का शुभ आशीष मिलता है।

इस शुभ सोम-एकादशी के दिव्य संयोग में श्री कमलेश्वर महादेव मंदिर मे हरिहर संयुक्त पूजा-अर्चना इस दिव्य एकता का सम्मान है। इस विशेष अनुष्ठान में भगवान विष्णु की स्थिरता और भगवान शिव की परिवर्तनकारी शक्ति दोनों का आवाहन किया जाता है। इस दिन किया गया हवन पुराने पापों और कमजोरियों को दूर करता है तथा जीवन में संतुलन, सफलता और शांति के लिए आशीर्वाद प्रदान करता है। भक्त मानते हैं कि यह संयुक्त पूजा परिवार में स्थिरता, उन्नति और गहरा आध्यात्मिक ज्ञान लाती है।

🪷 श्री मंदिर द्वारा की जाने वाली यह विशेष संयुक्त पूजा आपके जीवन में उपचार, शांति और दैवीय संरक्षण की कृपा लेकर आती है।

कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर, उत्तराखंड

कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर, उत्तराखंड
उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित इस क्षेत्र के सबसे पुराने और पूजनीय मंदिरों में से एक है। देवशयनी एकादशी, अचला सप्तमी, महा शिवरात्रि और वैकुंठ चतुर्दशी जैसे विशेष अवसरों पर श्रद्धालु अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए, विशेष रूप से संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति, जलते हुए दीये लेकर रात भर जागरण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। किंवदंती है कि आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर के मूल निर्माण का आदेश दिया था। कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन हजारों भक्त यहां पवित्र अनुष्ठान के लिए एकत्र होते हैं। वे दीये जलाकर संतान सुख की कामना करते हैं, इस विश्वास के साथ कि यह पूजा उन्हें शिव का आशीर्वाद दिलाएगी।

एक प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पत्नी जाम्बवती की संतान की इच्छा को पूरा करने के लिए इस मंदिर में दीया लेकर उपवास किया और भगवान शिव की पूजा की। पूजा के फलस्वरूप उन्हें ‘स्वम’ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। इसी प्रकार, एक निःसंतान दंपत्ति ने भी यही अनुष्ठान किया और बाद में उन्हें भी संतान सुख मिला। शिव महिम्न स्तोत्र के अनुसार, जब देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हुआ और देवता हारने लगे, तो वे भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने उन्हें सलाह दी कि वे पहले भगवान शिव की पूजा करें। फिर भगवान विष्णु देवताओं के साथ उस स्थान पर पहुंचे जहां अब कमलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, और उन्होंने शिव को कमल पुष्प अर्पित किए। भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प को अदृश्य कर दिया। तब भगवान विष्णु ने उस कमल की जगह अपनी आंख अर्पित करने का निश्चय किया। उनके इस समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। भक्ति, इतिहास और दिव्य घटनाओं से जुड़ा यह मंदिर आज भी आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।

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