जीवन में धन और समृद्धि की प्रचुरता के आशीर्वाद के लिए दिवाली निशित काल 16 ब्राह्मण अनुष्ठान 1600 श्री सूक्तम पाठ एवं श्री यंत्र महाभिषेक अनुष्ठान
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दिवाली निशित काल 16 ब्राह्मण अनुष्ठान

1600 श्री सूक्तम पाठ एवं श्री यंत्र महाभिषेक अनुष्ठान

जीवन में धन और समृद्धि की प्रचुरता के आशीर्वाद के लिए
temple venue
एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
pooja date
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जीवन में धन और समृद्धि की प्रचुरता के आशीर्वाद के लिए दिवाली निशित काल 16 ब्राह्मण अनुष्ठान 1600 श्री सूक्तम पाठ एवं श्री यंत्र महाभिषेक अनुष्ठान

सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। दिवाली पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, संस्कृत में धन की देवी माता लक्ष्मी को श्री कहा गया है, जिसका अर्थ है, सभी शुभ गुणों का अवतार। वहीं ऋग्वेद में वर्णित 16 श्लोक वाले श्री सूक्तम पाठ को देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सबसे लाभकारी माना जाता है। इस बार दिवाली पर 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक निशित काल लग रहा है, जो मां लक्ष्मी की उपासना के लिए सबसे शुभ समय में से एक है। इसलिए निशित काल के दौरान 16 ब्राह्मणों द्वारा 1600 बार श्री सूक्तम पाठ का आयोजन किया जा रहा है, क्योंकि, शास्त्रों के अनुसार, 6 अंक का संबध मां लक्ष्मी से है। मान्यता है कि दिवाली पर निशित काल के दौरान यह पूजा करने से मां लक्ष्मी द्वारा धन, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है कहा जाता है कि श्री सूक्तम का पाठ करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है और मां लक्ष्मी अपने भक्त की स्वंय ऋण, धन हानि जैसी समस्याओं से रक्षा करती है।

इसके अलावा मां लक्ष्मी का दिव्य आशीष प्राप्त करने के लिए श्री यंत्र को भी बहुत लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों में श्री यंत्र को देवी लक्ष्मी का ही अंश बताया गया है। कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए दिवाली पर्व पर शुभ समय अर्थात निशित काल के दौरान पहली बार 16 ब्राह्मण द्वारा दक्षिण भारत के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में 1600 श्री सूक्तम पाठ एवं श्री यंत्र महाभिषेक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस महानुष्ठान में भाग लें और देवी लक्ष्मी द्वारा जीवन में धन और समृद्धि की प्रचुरता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर एक पूजनीय तीर्थस्थल है। 120 साल पहले प्रतिष्ठित ऋषि मायांडी सिद्धर द्वारा स्थापित यह मंदिर चिरस्थायी परंपरा और भक्ति का प्रमाण है। ऋषि मायांडी सिद्धर ने भगवान राम के गहन ध्यान और दर्शन के बाद मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में कई चमत्कार हुए हैं, जिनमें भगवान पेरुमल की मुख्य मूर्ति भी शामिल है, जिसे मूर्तिकला का कोई औपचारिक ज्ञान न रखने वाले एक साधारण व्यक्ति ने गढ़ा था। मंदिर में कई पवित्र मूर्तियाँ हैं, जिनमें शुद्ध स्पष्ट क्वार्ट्ज से बना उल्लेखनीय स्फटिक लिंगम भी शामिल है।

शास्त्रों के अनुसार, स्फटिक लिंगम की पूजा करने से भक्तों में आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान और शक्ति आती है, साथ ही चिंताएँ और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। यह स्फटिक लिंगम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऋषिकेश के बाद भारत में सबसे बड़े स्फटिक लिंगम में से एक है। भक्तगण भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और भगवान हनुमान से आशीर्वाद लेने के लिए एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर आते हैं। माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और उन्हें सभी प्रयासों में सफलता मिलती है।

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