सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। दिवाली पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, संस्कृत में धन की देवी माता लक्ष्मी को श्री कहा गया है, जिसका अर्थ है, सभी शुभ गुणों का अवतार। वहीं ऋग्वेद में वर्णित 16 श्लोक वाले श्री सूक्तम पाठ को देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सबसे लाभकारी माना जाता है। इस बार दिवाली पर 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक निशित काल लग रहा है, जो मां लक्ष्मी की उपासना के लिए सबसे शुभ समय में से एक है। इसलिए निशित काल के दौरान 16 ब्राह्मणों द्वारा 1600 बार श्री सूक्तम पाठ का आयोजन किया जा रहा है, क्योंकि, शास्त्रों के अनुसार, 6 अंक का संबध मां लक्ष्मी से है। मान्यता है कि दिवाली पर निशित काल के दौरान यह पूजा करने से मां लक्ष्मी द्वारा धन, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है कहा जाता है कि श्री सूक्तम का पाठ करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है और मां लक्ष्मी अपने भक्त की स्वंय ऋण, धन हानि जैसी समस्याओं से रक्षा करती है।
इसके अलावा मां लक्ष्मी का दिव्य आशीष प्राप्त करने के लिए श्री यंत्र को भी बहुत लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों में श्री यंत्र को देवी लक्ष्मी का ही अंश बताया गया है। कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए दिवाली पर्व पर शुभ समय अर्थात निशित काल के दौरान पहली बार 16 ब्राह्मण द्वारा दक्षिण भारत के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में 1600 श्री सूक्तम पाठ एवं श्री यंत्र महाभिषेक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस महानुष्ठान में भाग लें और देवी लक्ष्मी द्वारा जीवन में धन और समृद्धि की प्रचुरता का आशीर्वाद प्राप्त करें।