सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि नवरात्रि के इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान देवी के किसी भी रूप की पूजा का फल अत्यंत प्रभावशाली होता है। बात करें अगर देवी भुवनेश्वरी की तो इन्हें संसार भर के ऐश्वर्य की स्वामिनी देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप माना गया है, इस रूप में इन्होनें त्रिदेवों को दर्शन दिये थे। देवी भागवत पुराण में इस बात का स्पष्टीकरण मिलता है। वहीं हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, आदि पराशक्ति का अर्थ है "अनंत असीम शक्ति"। अर्थात, वह इस ब्रह्मांड से परे की शक्ति है। देवी भागवत पुराण में वर्णित है कि आदि पराशक्ति पूरे ब्रह्मांड की मूल निर्माता, पर्यवेक्षक और संहारक है। यह वह देवी हैं जिन्होंने ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज का निर्माण किया है, इसलिए आदि पराशक्ति परम प्रकृति है। देवी दुर्गा माँ आदि-पराशक्ति का मूल प्रकट रूप हैं। वह स्वयं आदि-पराशक्ति हैं। शक्ति और सौंदर्य की देवी दुर्गा को उनका सगुण स्वरूप माना जाता है।
यही कारण है कि इस बार नवरात्रि के शुभ अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड में स्थित सिद्धपीठ भुवनेश्वरी देवी मंदिर में यह भव्य अनुष्ठान कराया जाएगा। पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष के यज्ञ में जब शंकर जी का अपमान हुआ तो उस दौरान माता सती ने क्रोध में आकर अपना देह त्याग दिया था। इस घटना से भगवान शिव सती के देह को लेकर क्रोधित हुए पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थें। इस दौरान भगवान शिव के बावले होने के कारण वायु भी अवरूद्ध होने लगा, क्योंकि माना जाता है कि भगवान शिव वायु के देवता है, वायु के अवरूद्ध होने पर सभी लोग ने मिलकर इस जगह पर महामाया का आवाह्न किया, जिसे भगवती भुवनेश्वरी प्रकट हुई। भगवती की स्तुति के बाद भगवान शंकर स्वस्थ हुए और फिर माता ने वरदान मांगने को कहा। तभी महामाया की स्तुति करने वाले ने वरदान मांगा कि देवी भुवनेश्वरी भगवान शिव की अर्धांगिनी बनकर इस जगह पर विराजमान हो। उसके बाद से यहां शिव और महामाया भुवनेश्वरी के रूप में विराजमान हैं।मान्यता है कि इस मंदिर में नवरात्रि पर की जाने वाली पूजा का फल अत्यंत प्रभावशाली होता है। देवी भुवनेश्वरी माता दुर्गा का बेहद सौम्य अवतार मानी जाती है जिनकी पूजा शीघ्र फलदायी होती है। इसलिए श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और जीवन में नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा एवं आनंद प्राप्ति का आशीष पाएं।