रिश्तों में खुशहाली एवं विवादों से समाधान के लिए रविवार शक्तिपीठ विशेष मां कात्यायनी अष्टकम स्तोत्र पाठ, भोग आरती और भूतेश्वर पंचाक्षरी मंत्र जाप
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रविवार शक्तिपीठ विशेष

मां कात्यायनी अष्टकम स्तोत्र पाठ, भोग आरती और भूतेश्वर पंचाक्षरी मंत्र जाप

रिश्तों में खुशहाली एवं विवादों से समाधान के लिए
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शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर, मथुरा
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रिश्तों में खुशहाली एवं विवादों से समाधान के लिए रविवार शक्तिपीठ विशेष मां कात्यायनी अष्टकम स्तोत्र पाठ, भोग आरती और भूतेश्वर पंचाक्षरी मंत्र जाप

रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है, हालांकि इस दिन न केवल सूर्य देव बल्कि मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से छठे स्वरूप को मां कात्यायनी के रूप में पूजते हैं। मां कात्यायनी को अमोघ फलदायिनी भी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की ही पूजा की थीं। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस दिन श्रद्धापूर्वक मां कात्यायनी की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में स्थित है देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक कात्यायनी पीठ। इस मंदिर का नाम प्राचीन सिद्धपीठों में भी आता है और इसे उमा शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से इस अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन सिद्धपीठ को लेकर कहा जाता है कि यहां देवी सती के बाल गिरे थे। कहते हैं कि यहां देवी कात्यायनी की पूजा करने से रिश्तों में खुशहाली एवं विवादों में समाधान का आशीष मिलता है। वहीं अमावस्या के दिन इस शक्तिपीठ में माँ कात्यायनी के साथ भगवान शिव की पूजा करने पर सुखी और समृद्ध गृहस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर, मथुरा

शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर, मथुरा
मथुरा के वृंदावन में स्थापित मां कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर, 51 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है, जो अपने कात्यायनी रूप में हैं यहां विराजित हैं। वृंदावन में कात्यायनी देवी शक्ति पीठ की स्थापना हिंदू माह माघ की पूर्णिमा के दिन की गई थी। केशवानंद महाराज नामक एक संत ने इसका निर्माण करवाया था। वे मां कात्यायनी के परम भक्त थे। कहा जाता है कि उन्हें एक स्वप्न आया था जिसमें कात्यायनी देवी ने उनसे वृंदावन आकर मंदिर बनवाने को कहा था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सती के देह को भगवान विष्णु द्वारा उनके सुदर्शन चक्र से काटने पर जहां जहां उनके अंग गिरे वह शक्तिपीठ के रूप में जाना गया। इस स्थान पर माता सती के बालों की लटें गिरीं थीं, इसलिए यह स्थान शक्तिपीठों में से एक माना गया। इन्हें यहाँ उमा भी कहा जाता है। इसलिए, इस मंदिर को उमा देवी शक्ति पीठ भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां कात्यायनी देवी की पूजा करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रज की गोपियां भगवान कृष्ण को अपना पति बनाना चाहती थीं इसलिए, वृंदा देवी ने उन्हें देवी कात्यायनी की पूजा करने का सुझाव दिया, तब से यह परंपरा आज भी जारी है।

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