रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है, हालांकि इस दिन न केवल सूर्य देव बल्कि मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से छठे स्वरूप को मां कात्यायनी के रूप में पूजते हैं। मां कात्यायनी को अमोघ फलदायिनी भी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की ही पूजा की थीं। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस दिन श्रद्धापूर्वक मां कात्यायनी की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में स्थित है देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक कात्यायनी पीठ। इस मंदिर का नाम प्राचीन सिद्धपीठों में भी आता है और इसे उमा शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से इस अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन सिद्धपीठ को लेकर कहा जाता है कि यहां देवी सती के बाल गिरे थे। कहते हैं कि यहां देवी कात्यायनी की पूजा करने से रिश्तों में खुशहाली एवं विवादों में समाधान का आशीष मिलता है। वहीं अमावस्या के दिन इस शक्तिपीठ में माँ कात्यायनी के साथ भगवान शिव की पूजा करने पर सुखी और समृद्ध गृहस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।