हिंदु धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पौराणिक कथानुसार, मां दुर्गा ने इन्हीं नौ दिनों तक दुष्ट राक्षस महिसासुर से युद्ध किया था और दसवें दिन उसे पराजित किया था। शास्त्रों के अनुसार, दस महाविद्याएं देवी दुर्गा का ही उग्र रूप है, इसलिए नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की भी पूजा शुभ मानी जाती है। 10 महाविद्याओं में अंतिम और दसवीं महाविद्या है मां कमला। मां कमला को कमलात्मिका भी कहा जाता है और उन्हें महालक्ष्मी का तांत्रिक रूप में भी जाना जाता है। पुराणों में माँ कमला को धन-संपदा की अधिष्ठात्री देवी एवं समस्त प्रकार की भौतिक सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है। मां कमला की पूजा के लिए विष्णु पुराण में वर्णित मां कमला स्तोत्र पाठ को सबसे प्रभावशाली माना गया है। कहा जाता है कि मां कमला को समर्पित मूल मंत्र का जाप एवं मां कमला स्तोत्र पाठ करने से धन और भौतिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
वहीं, जिस प्रकार दसवीं महाविद्या मां कमला धन-संपदा की देवी है, उसी प्रकार प्रथम महाविद्या मां काली नकारात्मकता और बुरी शक्तियों का विनाश करने वाली देवी है। मान्यता है कि इन दोनों महाविद्याओं की एक साथ पूजा करने से दोनों देवियों की शक्ति जुड़ती है और भक्त को धन की प्राप्ति के साथ मां काली द्वारा दैवीय सुरक्षा भी प्राप्त होती है। इसलिए उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित कालीमठ मंदिर में नवरात्रि के दूसरे दिन के शुभ अवसर पर 11,000 माँ कमला मूल मंत्र जाप और माँ काली कमला स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। शास्त्रों की मानें तो इस मंदिर में माँ काली पवित्र महाकाली यंत्र में जागृत रूप में विराजमान हैं। वहीं इस दिन शुक्रवार का दिन भी है, जो मां कमला को समर्पित है। ऐसे में इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। मां कमला और मां काली द्वारा ऋण-मुक्ति, धन की प्रचुरता और भौतिक सुख-समृद्धि के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।