क्या सफलता और स्वास्थ्य के मार्ग में अचानक आने वाली बाधाएँ आपको कमजोर और असहाय महसूस करा रही हैं? इस पवित्र एकादशी पर भगवान विष्णु, सूर्य देव और बृहस्पति देव (गुरु) की संयुक्त दिव्य शक्ति सभी रुकावटों को दूर कर सकती है ✨
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समृद्धि के लिए एकादशी 3 नारायण विशेष पूजा

त्रि नारायण महायज्ञ - विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, 108 सूर्य अर्घ्य एवं अग्नि हवन

जीवन में स्वास्थ्य और सफलता के लिए विष्णु, सूर्य और गुरु का आशीर्वाद
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श्री गलताजी सूर्य मंदिर, श्री दीर्घ विष्णु मंदिर, जयपुर, राजस्थान | मथुरा, उत्तर प्रदेश
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क्या सफलता और स्वास्थ्य के मार्ग में अचानक आने वाली बाधाएँ आपको कमजोर और असहाय महसूस करा रही हैं? इस पवित्र एकादशी पर भगवान विष्णु, सूर्य देव और बृहस्पति देव (गुरु) की संयुक्त दिव्य शक्ति सभी रुकावटों को दूर कर सकती है ✨

✨ जब जीवन की चुनौतियाँ बहुत भारी लगने लगती हैं, तब कई बार ऐसा महसूस होता है जैसे किसी अदृश्य छाया ने भाग्य और ऊर्जा को ढक लिया हो। ऐसा माना जाता है कि जब पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु की कृपा कम हो जाती है, और साथ ही गुरु बृहस्पति तथा सूर्य देव का प्रभाव कमजोर होता है, तब व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य की कमी, आर्थिक अस्थिरता और मानसिक अशांति दिखाई देने लगती है। यह तीनों स्थितियाँ मिलकर व्यक्ति को थकान, निराशा और संघर्ष की भावना से भर देती हैं। ऐसे समय में एकादशी तिथि पर त्रि-नारायण उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। इस उपासना में भगवान विष्णु, सूर्य देव और बृहस्पति देव – इन तीनों शक्तियों का स्मरण किया जाता है। यह वही तीन देव हैं जिन्हें सृष्टि के पालन, प्रकाश और ज्ञान का आधार माना गया है।

✨ पुराणों में उल्लेख है कि जब देवताओं को बल की आवश्यकता हुई, तो उन्होंने भगवान विष्णु का आह्वान किया। जब उन्हें जीवन में उजाला और आरोग्य चाहिए था, तो उन्होंने सूर्य देव से प्रार्थना की। और जब दिशा और विवेक की आवश्यकता हुई, तो उन्होंने गुरु बृहस्पति की शरण ली। इन तीनों का संयुक्त पूजन जीवन में संतुलन और दिव्यता लाने का माध्यम माना गया है। इस अनुष्ठान में विष्णु सहस्रनाम पाठ किया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु के हजार नामों का जप होता है। इसे मन की शांति और अंतर्मन की स्थिरता के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसके बाद सूर्य देव को 108 अर्घ्य अर्पित किए जाते हैं, जिससे जीवन में स्फूर्ति, साहस और स्वास्थ्य का संचार होता है। अंत में त्रि-नारायण अग्नि हवन किया जाता है, जिसमें अग्नि तत्व के माध्यम से अशुभ प्रभावों का शोधन और गुरु की कृपा का आवाहन किया जाता है।

✨ एकादशी तिथि पर किया गया यह त्रि-नारायण महायज्ञ श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह उपासना जीवन में सामंजस्य, आंतरिक शांति और दैवी संतुलन को स्थापित करने की भावना को और मजबूत कर सकती है।

श्री मंदिर के माध्यम से संपन्न इस विशेष पूजा में भाग लें और आरोग्य, मानसिक शांति और दैवी संरक्षण की अनुभूति करें।

श्री गलताजी सूर्य मंदिर, श्री दीर्घ विष्णु मंदिर,जयपुर, राजस्थान | मथुरा, उत्तर प्रदेश

श्री गलताजी सूर्य मंदिर, श्री दीर्घ विष्णु मंदिर,जयपुर, राजस्थान | मथुरा, उत्तर प्रदेश
गलता जी सूर्य मंदिर, जयपुर- जयपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित गलता जी सूर्य मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और पवित्र स्थान माना जाता है। यह जगह प्राकृतिक सुंदरता से घिरी हुई है और यहाँ कई छोटे-बड़े मंदिर बने हुए हैं, जिनमें सबसे मुख्य मंदिर गलता जी कहलाता है। यहाँ सात पवित्र कुंड हैं, जिनमें श्रद्धालु स्नान करके अपने पापों को धोने और मन की शुद्धि का अनुभव करते हैं। इन सातों कुंडों में सबसे खास गलता कुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका जल कभी नहीं सूखता।

इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के मंत्री दीवान राव कृपाराम के समय हुआ था। मान्यता है कि यहाँ ऋषि गलव ने सौ वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने इस स्थान को आशीर्वाद दिया कि यहाँ का जल सदा प्रवाहित रहेगा। गलता जी में सूर्य देव की पूजा करने से खुशी, समृद्धि, आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह उपासना अहंकार, आलस्य और नकारात्मकता को दूर करने में भी सहायक मानी जाती है।

श्री दीर्घ विष्णु मंदिर, मथुरा- मथुरा में स्थित श्री दीर्घ विष्णु मंदिर बहुत प्राचीन और पूजनीय स्थान है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के काल का है। यहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति पूरे भारत में सबसे अलग और अद्भुत मानी जाती है। विश्वास है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान विष्णु के आगे झुकता है, उसके जीवन के दुख और परेशानियाँ कम हो जाती हैं। यहाँ सोलह सोमवार का व्रत रखने वाली कन्याओं को योग्य जीवनसाथी, सुखी विवाह और संतान का सौभाग्य प्राप्त होता है।

इस मंदिर का उल्लेख वराह पुराण, नारद पुराण और श्रीमद्भगवद्गीता में भी मिलता है। स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है – “तीनों लोकों में मेरे लिए मथुरा सबसे प्रिय स्थान है।” लगभग साढ़े चार हजार वर्ष पहले यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के छः भुजाधारी रूप की स्मृति में बनाया गया था। यह मंदिर यमुना नदी के पवित्र संगम क्षेत्र की रक्षा के लिए भी स्थापित किया गया था। यहाँ की मूर्ति उस दिव्य रूप की प्रतीक मानी जाती है, जो भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के समय धारण किया था।

மதிப்புரைகள் மற்றும் மதிப்பீடுகள்

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