✨ जब जीवन की चुनौतियाँ बहुत भारी लगने लगती हैं, तब कई बार ऐसा महसूस होता है जैसे किसी अदृश्य छाया ने भाग्य और ऊर्जा को ढक लिया हो। ऐसा माना जाता है कि जब पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु की कृपा कम हो जाती है, और साथ ही गुरु बृहस्पति तथा सूर्य देव का प्रभाव कमजोर होता है, तब व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य की कमी, आर्थिक अस्थिरता और मानसिक अशांति दिखाई देने लगती है। यह तीनों स्थितियाँ मिलकर व्यक्ति को थकान, निराशा और संघर्ष की भावना से भर देती हैं। ऐसे समय में एकादशी तिथि पर त्रि-नारायण उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। इस उपासना में भगवान विष्णु, सूर्य देव और बृहस्पति देव – इन तीनों शक्तियों का स्मरण किया जाता है। यह वही तीन देव हैं जिन्हें सृष्टि के पालन, प्रकाश और ज्ञान का आधार माना गया है।
✨ पुराणों में उल्लेख है कि जब देवताओं को बल की आवश्यकता हुई, तो उन्होंने भगवान विष्णु का आह्वान किया। जब उन्हें जीवन में उजाला और आरोग्य चाहिए था, तो उन्होंने सूर्य देव से प्रार्थना की। और जब दिशा और विवेक की आवश्यकता हुई, तो उन्होंने गुरु बृहस्पति की शरण ली। इन तीनों का संयुक्त पूजन जीवन में संतुलन और दिव्यता लाने का माध्यम माना गया है। इस अनुष्ठान में विष्णु सहस्रनाम पाठ किया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु के हजार नामों का जप होता है। इसे मन की शांति और अंतर्मन की स्थिरता के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसके बाद सूर्य देव को 108 अर्घ्य अर्पित किए जाते हैं, जिससे जीवन में स्फूर्ति, साहस और स्वास्थ्य का संचार होता है। अंत में त्रि-नारायण अग्नि हवन किया जाता है, जिसमें अग्नि तत्व के माध्यम से अशुभ प्रभावों का शोधन और गुरु की कृपा का आवाहन किया जाता है।
✨ एकादशी तिथि पर किया गया यह त्रि-नारायण महायज्ञ श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह उपासना जीवन में सामंजस्य, आंतरिक शांति और दैवी संतुलन को स्थापित करने की भावना को और मजबूत कर सकती है।
श्री मंदिर के माध्यम से संपन्न इस विशेष पूजा में भाग लें और आरोग्य, मानसिक शांति और दैवी संरक्षण की अनुभूति करें।