हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर माह की तरह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष पर भी अमावस्या पडती है, जिसे भाद्रपद की अमावस्या या भादो अमावस्या के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद मास, चातुर्मास के चार पवित्र माहों का दूसरा पवित्र माह है। वहीं यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवार के दिन होने से इस अमावस्या का महत्व और भी अधिक बढ जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। भोलेनाथ के प्रिय दिन सोमवार को लेकर एक प्रचलित कथा है जिसमें बताया गया है कि सोमवार को चंद्रदेव ने भगवान शिव की पूजा की थी। इससे महादेव बहुत प्रसन्न हुए थे और उन्होंने चंद्रदेव को निरोगी काया का आशीर्वाद दिया था। यही कारण है कि सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने से भक्तों को अच्छे सेहत की प्राप्ति के साथ सभी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। इसलिए अमावस्या एवं सोमवार के इस शुभ संयोग पर भगवान शिव की पूजा शुभ फलदायी होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे साल शिव पूजा से जो पुण्य फल मिलता है, वह इस शुभ दिन पर भगवान शिव के रुद्राभिषेक से प्राप्त होता है। वहीं इस पवित्र माह में एक साथ कई शिवालयों में रुद्राभिषेक किया जाए तो कई गुना अत्यधिक फल की प्राप्ति हो सकती है। तो आइए जानें सोमवती अमावस्या के दिन इन विभिन्न शिवालयों में रूद्राभिषेक का महत्व इस प्रकार है:
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश: ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12वें ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि यहां रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और धन धान्य का आशीष मिल सकता है।
महामृत्युंजय महादेव मंदिर, काशी: काशी के महामृत्युंजय मंदिर में रूद्राभिषेक के द्वारा आरोग्य की प्राप्ति यानि अच्छे सेहत की कामना की जाती है। यह देश का एकलौता मंदिर है जहां महादेव, मृत्युंजय रूप में विराजित हैं।
मंगलनाथ महादेव मंदिर, उज्जैन: मान्यता है कि इस मंदिर में रूद्राभिषेक करने से मंगल एवं अन्य ग्रह दोषों से निवारण का वरदान मिलता है। कहा जाता है कि यहां की गई पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शुभता लाती है।
पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, हरिद्वार: हिंदू धर्म ग्रंथों में पशुपतिनाथ महादेव के रूद्राभिषेक से भक्तों को पवित्रता और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तों का मानना है कि यहां पूजा करने से भगवान नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
भारत वर्ष में दो तरह के पंचांग का अनुसरण किया जाता है, जिसमें उत्तर भारत के पंचांग में पूर्णिमा के बाद महीने की शुरूआत होती है जबकि दक्षिण भारत के पंचांग में अमावस्या के बाद माह का आरंभ होता है, यही कारण है कि इन दोनों पंचांगों में 15 दिन का अंतर देखने को मिलता है। दक्षिण भारत के पंचांगानुसार श्रावण का पवित्र महीने का अंतिम सोमवार 02 सितंबर को है। शास्त्रों के अनुसार, अन्य दिनों की अपेक्षा इस पवित्र दिन में रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ व लाभकारी माना जाता है। वहीं रुद्राभिषेक को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त जिस कार्य को मन में रखकर भगवान शिव का अभिषेक करता है वो उसकी इच्छा पूरी करते हैं। इसलिए सोमवती अमावस्या के शुभ दिन पर श्रीमंदिर आपके लिए लेकर आया है एक साथ चार शिवालयों में महा रुद्राभिषेक कराने का अवसर, तो भोलेनाथ से अच्छे स्वास्थ्य, धन प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा का आशीष पाने के लिए चतु: शिवालय महा रुद्राभिषेक में भाग लें।