🔱 भारत में भगवान शिव के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिरों का महत्व शास्त्रों में विशेष रूप से बताया गया है। ऐसा ही एक मंदिर है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित
त्रियुगीनारायण मंदिर। यह भगवान विष्णु को समर्पित पवित्र मंदिर है और इसे भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य विवाह स्थल के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में सदियों से एक पवित्र अग्नि जल रही है, वही अग्नि जिसने शिव और शक्ति के विवाह के वचनों को साक्षी बनाया था। त्रियुगीनारायण मंदिर का उल्लेख वेदों में भी मिलता है और माना जाता है कि यह त्रेता युग से अस्तित्व में है। इस वर्ष करवा चौथ के दिन इसी पवित्र स्थल पर विशेष विवाह आशीर्वाद पूजा का आयोजन किया जा रहा है, जो स्वयं में एक दुर्लभ अवसर है।
माना जाता है कि आज भी भक्त इस पवित्र स्थान पर पूजा करके अपने जीवन में प्रेम और सामंजस्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। करवा चौथ जैसे दिन पर शिव और पार्वती की पूजा से बढ़कर और कौन सा शुभ अवसर हो सकता है। इसलिए इस शुक्रवार श्री मंदिर त्रियुगीनारायण के पवित्र स्थल पर विशेष दिव्य प्रेम मिलन पूजा का आयोजन कर रहा है।
🌙 करवा चौथ की कथा:
महाभारत में करवा चौथ व्रत की एक कथा मिलती है। जब पांडव वनवास में थे, तब द्रौपदी ने अपने पतियों की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा था। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें करवा चौथ व्रत करने की सलाह दी। द्रौपदी ने पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत किया, जिससे पांडवों की विजय और वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि प्रेम और विश्वास से किया गया व्रत रिश्तों को मजबूत बनाता है।
भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह दिव्य एकता का प्रतीक है। यह कथा उनके अनंत प्रेम, समर्पण और त्याग को दर्शाती है। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग विवाह में देरी, रिश्तों में मतभेद या उपयुक्त जीवनसाथी मिलने में बाधाओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए इस पवित्र मंदिर में पूजा करवाना अत्यंत फलदायी माना गया है।
इस करवा चौथ पर श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस विशेष पूजा में घर बैठे भाग लेकर आप भी शिव और पार्वती के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।