ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति मजबूत ना होने से जातक को जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष और शनि की महादशा कुंडली में 19 साल तक चलती है। शनि के नकारात्मक प्रभाव होने पर शनि लंबे समय तक कष्ट देते हैं, जिससे जातक को कई तरह की समस्याएं जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्या, नौकरी में बाधा, धन की हानि, पारिवारिक कलह, दुर्घटना एवं बाधाएं लंबे समय तक झेलनी पड़ती हैं। शनि के लंबे एवं कष्टकारी दोष से मुक्ति के लिए शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र पाठ एवं शनि कवच पाठ अत्यंत प्रभावकारी माना गया है।
भविष्य पुराण में शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र का उल्लेख किया गया है, मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इसका पाठ करता है उसे हर प्रकार की समस्या एवं व्याधियों से मुक्ति मिलती है। अगर कोई व्यक्ति असाध्य रोग से पीड़ित है उसके लिए यह पाठ रामबाण सिद्ध होता है। वहीं पौराणिक कथाओं में शनि को प्रसन्न करने के लिए शनि कवच का जाप सबसे शक्तिशाली तरीका बताया गया है। इस कवच को ‘ब्राह्मण पुराण’ से लिया गया है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती का दिन अत्यंत शुभ माना गया है इसलिए इस दिन शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र पाठ और शनि कवच पाठ करने से व्यक्ति को समस्त शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा से सुरक्षा प्राप्त होता है और लंबे समय से चल रही कष्टकारी जीवन से मुक्ति मिलती है।