गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि इस दिन गुरु की पूजा की जाती है और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है। इसलिए इस दिन भगवान शिव के गुरु स्वरुप जिन्हें दक्षिणामूर्ति के नाम से जाना जाता है, उनकी पूजा का विधान है। दक्षिणामूर्ति अर्थात् दक्षिण की ओर मुख किये हुए भगवान शिव जो गुरु के रूप में पूजित हैं। इस दिन दक्षिणामूर्ति मंत्र का जाप और हवन करने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। वहीं हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का भी विशेष महत्व है, जिनमें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है, मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में उद्देश्य एवं स्थिरता की प्राप्ति होती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में दक्षिणामूर्ति की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलते हैं। भगवान दक्षिणामूर्ति के रूप में शिवजी को ज्ञान और शिक्षा का दाता माना जाता है। उनकी पूजा से विद्यार्थी, शिक्षक, और ज्ञान के साधक सभी को अपनी शिक्षा और अध्ययन में उत्कृष्टता प्राप्त होती है। वहीं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक का भी अत्यधिक महत्व है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल माध्यम है। ओंकारेश्वर में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और आरोग्य का वास होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन 1008 दक्षिणामूर्ति मूल मंत्र जाप एवं हवन व ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक करने से गुरु तत्व की शक्ति का आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन में अज्ञानता और अंधकार को दूर कर ज्ञान और प्रकाश की ओर अग्रसर करता है। जो भक्तों को उद्देश्यों की प्राप्ति में मददगार होता है और जीवन में स्थिरता लाता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन ज्योतिर्लिंग में होने वाली इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें।