पंच देवताओं की पूजा पद्धति को ‘पंचायतन पूजा’ कहते हैं। यह स्मार्त सम्प्रदाय की एक पूजा पद्धति है। इस विधि में पाँच देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक पंच तत्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पंच देव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शिव, ब्रह्मांड के रक्षक भगवान विष्णु और सूर्य देव, सूर्य नारायण हैं। जिनमें भगवान गणेश को जल तत्व, शिव जी को पृथ्वी तत्व, विष्णु जी को वायु तत्व, सूर्य देव को आकाश तत्व व देवी दुर्गा को अग्नि तत्व माना गया है। सनातन धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है, इसलिए इस दिन भक्त श्रीहरि की विभिन्न प्रकार से अराधना करते हैं, जिसमें द्वादशाक्षर मंत्र जाप के अलावा विष्णु सहस्त्रनाम और सुदर्शन हवन शामिल है।
पौराणिक कथा के अनुसार, संसार के प्रथम पुरुष स्वायंभुव मनु और प्रथम स्त्री शतरूपा थी। जिनकी सन्तानों से संसार के समस्त जनों की उत्पत्ति हुई। ये दोनों यानि मनु और शतरूपा द्वादशाक्षर मंत्र का प्रेम सहित जप करते थे। वहीं विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीहरि भगवान विष्णु के 1000 नामों की महिमा का वर्णन है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम के प्रतिरूप में विद्यमान है। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को जीवन में यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता के साथ शांति एवं स्थिरता का आशीष मिलता है। जबकि 'सुदर्शन चक्र' का वर्णन ऋग्वेद में भगवान विष्णु के प्रतीक एवं समय के चक्र के रूप में किया गया है। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का वो अस्त्र है जो एक बार छोड़े जाने पर शत्रु का वध करके ही वापस लौटता है। सुदर्शन हवन मनुष्य के जीवन में समृद्धि और स्थिरता लाती है। इसलिए भगवान विष्णु के प्रिय दिन गुरुवार को मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में 11,000 विष्णु द्वादशाक्षर मंत्र जाप, विष्णु सहस्त्रनाम और सुदर्शन हवन का आयोजन किया जा रहा है श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और विष्णु देव से आशीष पाएं।