हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। 'नव' का अर्थ है 'नौ' और 'रात्रि' का अर्थ है 'रात', अर्थात नौ रातों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। नवरात्रि का छठवां दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप को समर्पित है। मां कात्यायनी को अमोघ फलदायिनी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथानुसार, महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने महर्षि के यहां जन्म लिया था। महर्षि कात्यायन के यहां जन्म के कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा। माता कात्यायनी की पूजा अर्चन करने से जीवन के कष्ट तो दूर होते ही हैं, साथ ही विवाह में आ रही अड़चने भी समाप्त होती है और मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है। मां कात्यायनी को ब्रज की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि ब्रज की गोपियों ने भी भगवान श्री कृष्ण को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी, क्योंकि मां कात्यायनी मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद देने वाली देवी है, इसलिए गोपियों ने भी यमुना के तट पर मां कात्यायनी की उपासना की थी, जिसके परिणामस्वरूप मां यहां प्रतिष्ठित हुईं। शास्त्रों के अनुसार, मां कात्यायनी बृहस्पति और शुक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष विद्या में बृहस्पति और शुक्र को विवाह का कारक माना जाता है। इसी कारणवश मान्यता है कि वैवाहिक जीवन में क्लेश एवं विवाह में विलंब जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
शास्त्रों में मां कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मां कात्यायनी मूल मंत्र को सबसे लाभकारी बताया गया है। माना जाता है कि मां कात्यायनी के मूल मंत्र का जाप करने वाले साधक को रिश्तों में खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि यह मंत्र जाप 51 शक्तिपीठों में से एक मां कात्यायनी शक्तिपीठ में किया जाए तो यह अधिक फलदायी हो सकता हैं, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में स्थित यह मंदिर प्राचीन सिद्धपीठों में से एक है। पौराणिक कथानुसार, मां सती के बाल इसी स्थान पर गिरे थे, जिससे यह अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन सिद्धपीठ बन गया। यदि इस मंत्र जाप के साथ दुर्गा सहस्रनाम कुमकुम अर्चन किया जाए तो इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अनुष्ठान में मां दुर्गा के हजार नामों का उच्चारण करते हुए उनके चरणों में कुमकुम अर्पित किया जाता है। माना जाता है दुर्गा सहस्रनाम कुमकुम अर्चन करने से देवी दुर्गा द्वारा नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए नवरात्रि षष्ठी पर शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर में 11,000 माँ कात्यायनी मूल मंत्र जाप एवं दुर्गा सहस्रनाम कुमकुम अर्चन का आयोजन किया जा रहा है। रिश्तों में खुशहाली एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें।