🛕मंदिर के कपाट खुलने के बाद पहली पूजा🌸
अंबुबाची मेला एक वार्षिक मेला है जो कि तंत्र और शक्ति की उपासना का विशेष पर्व माना गया है। यह हर वर्ष जून माह में मनाया जाता है। ऐसा मानना है कि दुनियाभर में जो तंत्र साधनाएं सफल नहीं होती हैं वो इस दौरान यहां आकर पूरी की जाती हैं, यही कारण है कि यहां देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार, कामाख्या देवी के रजस्वला होने की खुशी में अंबुबाची मेला मनाया जाता है, जो कि तीन दिन तक चलता है। इस दौरान मंदिर का कपाट बंद रहता है, मंदिर दोबारा खुलने के बाद पहली पूजा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें माता विश्राम के बाद अपनी नई ऊर्जा के साथ भक्तों को जीवन में नवीनीकरण का आशीष देती हैं। तंत्र मंत्र की देवी मां कामाख्या को शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि इस दौरान देवी की पूजा करने से हजार गुना अत्यधिक फल की प्राप्ति होती है। जो भक्त इस दौरान मंदिर में दर्शन को नहीं पहुंच पाते वो इस पूजा के साथ अभिमंत्रित की हुई वस्तुओं को अपने घर पर रख सकते हैं। माना जाता है कि इस दौरान माता के तीर्थक्षेत्र से अभिमंत्रित हुई वस्तुओं को अपने घर में रखने से सुख, समृद्धि एवं खुशहाल वैवाहिक जीवन का आशीष प्राप्त होता है साथ ही सकारात्मक एवं दिव्य ऊर्जा का अनुभव भी होता है। मंदिर पुन: खुलने के अवसर पर इस पहली पूजा का लाभ उठाने के लिए श्री मंदिर द्वारा मां कामाख्या तंत्र युक्त महायज्ञ में भाग लें और देवी कामाख्या से रिश्तों में विवादों से मुक्ति एवं असीम प्रेम प्राप्ति का आशीष पाएं।