करवा चौथ का पर्व भारतीय समाज में वैवाहिक संबंधों की पवित्रता और पति–पत्नी के बीच प्रेम व समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति और स्वयं की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य तथा पारिवारिक सुख–समृद्धि की कामना करती हैं। करवा चौथ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें स्त्री का संयम और तपस्या दांपत्य जीवन में स्थिरता और सुरक्षा का प्रतीक बन जाती है।
शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि करवा चौथ पर भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा भी बहुत फलदायी मानी गई है। भगवान शिव और माता पार्वती को आदर्श दंपत्ति माना गया है, जिनका संबंध सिर्फ पति–पत्नी का नहीं बल्कि त्याग, श्रद्धा और एक-दूसरे के प्रति अटूट समर्पण का उदाहरण है। इस दिन उनकी आराधना से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है तथा दांपत्य संबंध मजबूत होते हैं।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर इस संदर्भ में पवित्र महत्व रखता है। माना जाता है कि यहीं भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उस पवित्र विवाह के समय प्रज्वलित अग्नि आज भी मंदिर के गर्भगृह में निरंतर जली हुई है। वह अग्नि शिव–शक्ति के अनन्त मिलन और उनके शाश्वत प्रेम का प्रतीक है। करवा चौथ के अवसर पर इस वैवाहिक मंदिर में की गई पूजा का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि वहां की दिव्य ऊर्जा और शक्ति संकल्प को अधिक गहरा बनाती है।
इस विशेष अवसर पर आयोजित भगवान शिव और माँ पार्वती पूजा का उद्देश्य अब केवल पति की दीर्घायु की कामना नहीं है, बल्कि स्त्री की भी दीर्घायु, स्वास्थ्य, आत्म-सम्मान तथा दांपत्य जीवन में प्रेम और समरसता को बढ़ाना है। यह पूजा महिलाओं को यह याद दिलाती है कि करवा चौथ का व्रत केवल बाह्य अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और प्रेम का गहरा प्रतीक है। जब स्त्री सच्चे मन से व्रत करती है और भगवान शिव–पार्वती का स्मरण करती है, तब उसका संकल्प दैवी शक्ति से जुड़ जाता है और उसका आशीर्वाद अधिक प्रभावी माना जाता है।
इस प्रकार, करवा चौथ पर पति और पत्नी दोनों की दीर्घायु, स्वास्थ्य, प्रेम और दांपत्य सुख के लिए भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा न केवल धार्मिक मान्यता को पुष्ट करती है, बल्कि वैवाहिक जीवन की नींव को और भी मजबूत बनाती है। यह पर्व दंपत्ति के जीवन में आपसी विश्वास, आत्मीयता और सौहार्द बढ़ाने वाला है।
🌸 आप भी श्री मंदिर के माध्यम से त्रियुगीनारायण मंदिर में संपन्न होने वाले इस विशेष भगवान शिव एवं माँ पार्वती पूजन में भाग लेकर स्वयं की दीर्घायु, पति-पत्नी के सामंजस्य और दांपत्य सुख का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।