🔱 हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त स्वरूप के रूप में पूजा जाता है, जो ज्ञान, वैराग्य और योग के प्रतीक हैं। भगवान दत्तात्रेय देवतुल्य गुरु भी हैं, जिनकी आराधना से भक्तों को जीवन में खुशहाली और स्थिरता का सही मार्ग मिल सकता है। उनकी महिमा इतनी विशाल और अतुलनीय है कि देवता स्वयं उनके मार्गदर्शन की कामना रखते हैं। इसलिए, इस दत्तात्रेय जयंती पर काशी के श्री एकमुखी दत्तात्रेय (त्रिमूर्ति) पूजा और हवन का आयोजन होने जा रहा है, जो अपने आप में सुनहरा अवसर है। दत्तात्रेय जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह वही दिन है, जब त्रिमूर्ति - ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार भगवान दत्तात्रेय का पृथ्वी पर प्राकट्य हुआ था।
अक्सर जीवन में हम उस मोड़ पर आकर खड़े हो जाते हैं, जहां कुछ भी स्थिर नहीं रह पाता। आज धन है लेकिन ज़रूरत के समय शून्य, आज कोई सफलता मिली लेकिन कुछ समय बाद जीवन में फिर से खालीपन। ऐसी समृद्धि और सफलता भी किस काम की, जो स्थिर न हो? तब समय आ जाता है कि हम ईश्वर की आराधना के साथ-साथ गुरु की शरण और मार्गदर्शन की तरफ बढ़ें। गुरुवार को गुरु का दिन माना गया है, जिसमें यदि गुरु दत्तात्रेय की जयंती के संयोग में यह आराधना की जाए तो जीवन में स्थिरता की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। दत्तात्रेय जी के काशी स्थित धाम में एक विशेष पूजा और हवन होने जा रहा है, जो आपके संघर्षों को सफलता में बदलने की शक्ति रखता है।
⚜️ भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी पौराणिक कथा:
एक बार देवी अनुसूया की पतिव्रता धर्म की परीक्षा लेने त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ऋषि अत्रि के आश्रम पहुंचे। उन्होंने भेष बदलकर मां अनुसूया से भिक्षा मांगी, लेकिन अनुसूया ने उन्हें पहचानने से पहले ही भोजन कराने का वचन दे दिया था। जब त्रिदेव ने भोजन की मांग की तो अनुसूया ने अपने पतिव्रत धर्म के बल पर उन्हें शिशु रूप में बदल दिया और उन्हें स्तनपान कराया। जब ऋषि आश्रम लौटे तो उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी ने त्रिदेवों को शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया है। उन्होंने त्रिदेवों को दोबारा उनके असली रूप में लौटाने के लिए प्रार्थना की और त्रिदेवों ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि वे तीनों उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इस प्रकार, दत्तात्रेय का जन्म हुआ, जो त्रिदेवों का संयुक्त रूप माने जाते हैं।
इस दत्तात्रेय जयंती पर विद्वान पुरोहितों द्वारा (त्रिमूर्ति) पूजा और हवन का आयोजन होगा, जिसे काशी के प्राचीन श्री एकमुखी दत्तात्रेय मंदिर में संपन्न कराया जाएगा। इस मंदिर में गुरु-समर्पित अनुष्ठान कराने से भक्तों को त्रिदेव स्वरूप का आशीष, मानसिक शांति, स्थिरता और जीवन की कठिनाइयों से उबरने में मदद मिलती है। ऐसे में जो भक्त गुरु कृपा से वंचित रह जाते हैं, जीवन में गुरु का मार्गदर्शन नहीं मिल पाता, उनके लिए यह आराधना स्थिरता की प्रेरणा लेकर आती है। घर बैठे इस हवन में भाग लें और धन, समृद्धि और सफलता को जीवन में आमंत्रित करें। शास्त्रों में गुरु का दर्जा ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि गुरु ही ईश्वर तक पहुंचने का सही मार्ग दिखाते हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से आप भी श्री दत्तात्रेय के इस अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं। यह विशेष पूजा भक्तों को गुरु कृपा के साथ खुशहाली और स्थिरता का आशीष दे सकती है।