🤔 क्या कभी आपको ऐसा लगता है कि कोई अदृश्य अंधकार या अनजाना भय आपको परेशान कर रहा है?
नवरात्रि के पावन दिनों में हम माँ दुर्गा से ऐसी अदृश्य शक्तियों से रक्षा की प्रार्थना करते हैं। महा सप्तमी पर की जाने वाली यह विशेष पूजा माँ भद्रकाली से आशीर्वाद प्राप्त करने और साहस से भरने की प्रार्थना है।
कुरुक्षेत्र का भद्रकाली मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं, बल्कि 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहीं देवी सती का दाहिना टखना गिरा था, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र और दिव्य ऊर्जा से संपन्न हो गया। इसका संबंध महाभारत काल से भी गहराई से जुड़ा है। कहा जाता है कि महायुद्ध से पूर्व श्रीकृष्ण स्वयं पांडवों को यहाँ लाए और उन्होंने माँ भद्रकाली की आराधना कर धर्म की विजय के लिए आशीर्वाद माँगा। उनके रथों के घोड़े भी यहाँ चढ़ाए गए थे, और यह परंपरा आज भी चलती आ रही है।
यह प्राचीन कथा दर्शाती है कि इस शक्तिपीठ पर पूजा करने से कितना बल मिलता है। महा सप्तमी के दिन, जब हम माँ कालरात्रि का पूजन करते हैं जो समस्त अंधकार का नाश करती हैं, तब भद्रकाली स्तोत्र पाठ और काली सहस्रनाम पाठ का महत्व और बढ़ जाता है। माँ के सहस्र नामों का जप भक्त के चारों ओर आध्यात्मिक कवच रचता है और बुरी शक्तियों से रक्षा का संकल्प माना जाता है।
माँ सती की उपस्थिति और पांडवों की भक्ति से पवित्र इस स्थान पर किए गए ये अनुष्ठान भक्तों को भी वही साहस और संरक्षण की कामना के लिए प्रेरित करते हैं। यह विशेष पूजा माँ भद्रकाली से प्रार्थना है कि काले जादू, बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जाओं का असर दूर हो और जीवन के संघर्षों से सुरक्षित मार्ग मिले।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य पूजा में सम्मिलित होकर माँ भद्रकाली की कृपा से जीवन में साहस और सुरक्षा की प्रार्थना करें।