🚩 कठिन समय में लाखों भक्त खाटू श्याम जी की शरण क्यों लेते हैं?
खाटू श्याम जी को कलियुग में दयालु और करुणा से भरे भगवान के रूप में पूजा जाता है। परंपरा के अनुसार वे वीर बर्बरिक का ही दिव्य रूप माने जाते हैं। भले ही बर्बरिक का उल्लेख मूल संस्कृत महाभारत में नहीं मिलता, लेकिन खाटू श्याम की लोककथाओं और स्कंद पुराण में मिलने वाले वर्णनों में उन्हें उस महान भक्त योद्धा के रूप में दर्शाया गया है, जिसकी अनोखी भक्ति और त्याग ने उन्हें “हारे का सहारा” का नाम दिया।
यानि, जब मन असहाय महसूस करें, जब कोई रास्ता न सूझे, या जब अपने ही प्रयास कम पड़ते दिखें, तब लोग श्याम बाबा की शरण में शांति और सहारा खोजते हैं। साल 2025 कई लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है और कई पुरानी मनोकामनाएँ अभी भी अधूरी हैं। इन्हीं भावों को ध्यान में रखते हुए वर्षांत 2026 “हारे का सहारा” श्याम बाबा मनोकामना पूजा उज्जैन स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर में आयोजित की जा रही है।
🚩 बर्बरिक कैसे बने श्री खाटू श्याम?
मंदिर परंपरा के अनुसार बर्बरिक एक अद्भुत योद्धा थे, जिन्हें तीन अचूक बाणों का वरदान प्राप्त था, और जिन्होंने यह संकल्प लिया था कि वे हर युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे। कुरुक्षेत्र युद्ध से पहले, श्रीकृष्ण ने उनकी शक्ति और संकल्प के प्रभाव को समझते हुए उनसे एक दिव्य वर के रुप में मस्तक देने का अनुरोध किया। बर्बरिक ने इसे ईश्वर की इच्छा मानकर तुरंत अपना बलिदान दे दिया। उनकी इस भक्ति और त्याग से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने आशीष दिया कि कलियुग में वे श्याम नाम से पूजित होंगे, और जो भी उन्हें सच्चे मन से स्मरण करेगा, उसकी मनोकामना सुनी जाएगी।
🚩 मनोकामना पूजन में आशीर्वाद कैसे प्राप्त किए जाते हैं?
इस विशेष मनोकामना पूजा में खाटू श्याम जी का अभिषेक और श्रृंगार पूजा का सबसे पवित्र भाग माना जाता है। अनुभवी पुजारी दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत से अभिषेक करते हैं, जिससे मंदिर का वातावरण शांत, भक्तिमय और ऊर्जा से भरा हो जाता है। अभिषेक के बाद सुगंध, चंदन, गुलाल, फूल-मालाएँ, मुकुट, आभूषण और पारंपरिक श्रृंगार से बाबा श्याम का दिव्य अलंकरण किया जाता है। दीपों की रोशनी में उनका करुणामय स्वरूप और भी तेजस्वी दिखाई देता है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र वातावरण में किया गया संकल्प अधिक समर्थ और सकारात्मक दिशा में अग्रसर होता है।
आप भी श्रद्धा और विश्वास के साथ श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में सम्मिलित हो सकते हैं।