✨ क्या आप ऐसी दिव्य शक्ति की खोज में हैं, जो आपको हर तरह के ज्ञात और अज्ञात खतरों से सुरक्षित रख सके?
नवरात्रि के पवित्र अवसर पर दस महाविद्याओं — देवी माँ के दस बेहद शक्तिशाली स्वरूपों की कृपा पाने के लिए तंत्र युक्त हवन का आयोजन किया जाता है।
10 महाविद्याओं की उत्पत्ति हमारे पुराणों की एक अद्भुत कथा से जुड़ी है। कहा जाता है कि देवी सती, दक्ष प्रजापति की पुत्री, अपने पिता द्वारा आयोजित एक भव्य यज्ञ में जाना चाहती थीं लेकिन दक्ष ने न तो उन्हें और न ही भगवान शिव को आमंत्रित किया। जब शिव जी ने देवी सती को वहां जाने से रोका तो वे दिव्य क्रोध से भर उठीं। अपनी सर्वोच्च शक्ति प्रकट करने के लिए उन्होंने दस अलग-अलग स्वरूपों को धारण किया, जो दसों दिशाओं की रक्षा करते हैं। भगवान शिव भी उनके इस अद्भुत सामर्थ्य से प्रभावित हुए।
ये दसों देवियाँ — माँ काली के उग्र स्वरूप से लेकर माँ कमला के सौम्य रूप तक — महाविद्याएँ कहलाती हैं। इन्हें एक साथ पूजना आदि शक्ति की सम्पूर्ण, सर्वशक्तिमान शक्ति का आह्वान करने के समान माना जाता है। इस विशेष नवरात्रि सप्तमी पूजा में तंत्र युक्त हवन किया जाएगा, जो विशिष्ट तांत्रिक परंपराओं के अनुसार संपन्न होता है। मान्यता है कि यह हवन दसों महाविद्याओं को प्रसन्न करने का अत्यंत प्रभावशाली उपाय है। यह अनुष्ठान आदि शक्ति महाकाली 10 महाविद्या सिद्धपीठ मंदिर, हरिद्वार में संपन्न होगा।
सिद्धपीठ वे पवित्र स्थान हैं, जहाँ की दिव्य ऊर्जा अत्यधिक मानी जाती है और जहाँ भक्तों की प्रार्थनाएँ शीघ्र स्वीकार होती हैं। नवरात्रि जैसे पावन समय पर इस मंदिर में सभी दस महाविद्याओं का तंत्र युक्त हवन करना भक्त और देवी माँ के बीच अत्यंत गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है। इस विशेष हवन में सम्मिलित होकर, आप दसों महाविद्याओं के संयुक्त आशीर्वाद की कामना करते हैं। प्रत्येक महाविद्या अपने भक्तों को अलग-अलग प्रकार की कृपा प्रदान करती हैं — सुरक्षा, समृद्धि, साहस, ज्ञान, और समस्याओं से मुक्ति। यह अनुष्ठान सम्पूर्ण कल्याण, भयमुक्त जीवन और आंतरिक शक्ति के लिए एक शक्तिशाली प्रार्थना है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा का हिस्सा बनकर आप देवी माँ की परम कृपा का अनुभव कर सकते हैं और अपने जीवन में दसों महाविद्याओं का दिव्य संरक्षण पा सकते हैं।