🙏 महालया अमावस्या पर मां काली पूजा और कवच पाठ से पाएं बुरी ऊर्जाओं से दैवीय सुरक्षा का आशीर्वाद 🙏
🕉️ महालया अमावस्या, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है, पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन जहां एक ओर पितरों को विदाई दी जाती है, वहीं दूसरी ओर यह शक्ति पूजा का आरंभ भी माना गया है। विशेष तौर पर यह दिन बंगाल में मां दुर्गा के आगमन का सूचक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी अमावस्या तिथि पर मां दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए मां काली का प्रचंड रूप धारण किया था। इसलिए, महालया अमावस्या पर मां काली की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन तंत्र साधना और शक्ति की उपासना के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस शुभ अवसर पर तंत्रोक्त मां काली पूजा और कवच पाठ होने जा रहा है, जो इस साल का सुनहरा अवसर है।
🕉️ तंत्रोक्त मां काली पूजा और कवच पाठ:
तंत्रोक्त मां काली पूजा एक शक्तिशाली साधना है, जो देवी काली की उग्र ऊर्जा को समर्पित है। यह पूजा विशेष तंत्र विधियों, मंत्रों और यंत्रों का उपयोग करके की जाती है, जिसका उद्देश्य शत्रुओं का नाश, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा पाना है। इस साधना में विशेष हवन और मंत्रों का जाप शामिल है, जो भक्तों को महालया अमावस्या की ऊर्जा नवरात्रि की शक्ति के करीब लाती है। इसी के साथ 'मां काली कवच' का पाठ किया जाता है, जो एक सुरक्षात्मक स्तोत्र है। यह भक्तों के चारों ओर एक अभेद्य आध्यात्मिक कवच का निर्माण कर सकता है। इसका नियमित पाठ भय, रोग, और तंत्र-मंत्र की बाधाओं से रक्षा के लिए फलदायी माना गया है।
🕉️ शारदीय नवरात्रि का आरंभ शक्ति की आराधना का महापर्व है, जो इस साल 22 सितंबर 2025, सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। यह अश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा को घटस्थापना या कलश स्थापना के साथ शुरू होता है, जिसमें देवी शक्ति का आवाहन किया जाता है। पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप 'देवी शैलपुत्री' की पूजा-अर्चना होती है, जो हिमालय की पुत्री हैं और स्थिरता-दृढ़ता का प्रतीक हैं। भक्त नौ दिनों तक व्रत, पूजा और अनुष्ठान के साथ देवी के कई स्वरूपों की कृपा प्राप्त करते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है।
🕉️ इस ख़ास अमावस्या पर तंत्रोक्त मां काली पूजा और कवच पाठ का आयोजन शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकाता में हो रहा है, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है। यह हुगली नदी (आदि गंगा) के तट पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा अद्वितीय है, जिसमें लंबी जीभ, तीन बड़ी आंखें और चार भुजाएं हैं। यह मंदिर तंत्र साधना का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां के अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
🪔 श्री मंदिर द्वारा इस अमावस्या विशेष मां काली पूजा के दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और बुरी ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद पाएं।