🔱 श्राद्ध पूर्णिमा, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है, पितरों को तर्पण और उना आशीर्वाद पाने का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। मान्यता है कि इस शुभ दिन राहु और चंद्रमा दोष निवारण के अनुष्ठान बेहद फलदायी हो जाते हैं। जब कुंडली में राहु और चंद्रमा का अशुभ प्रभाव बढ़ता है तो मानसिक अस्थिरता, पारिवारिक कलह, आर्थिक बाधाएं और पितृ दोष जैसी समस्याएं हावी हो जाती हैं। राहु पैठाणी मंदिर जैसे सिद्ध तीर्थ में श्री मंदिर द्वारा शतभिषा नक्षत्र में 18 हजार राहु मूल मंत्र और 10 हजार चंद्रमा मूल मंत्र जाप का आयोजन होने जा रहा है, जो आराधना का स्वर्णिम अवसर है।
🪔 18,000 राहु मूल मंत्र जाप को राहु ग्रह की शांति और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए बेहद प्रभावी माध्यम माना जाता है। यह मंत्र जाप कुंडली में राहु दोष से पैदा हो रही मानसिक अशांति, करियर रुकावट, वैवाहिक समस्याओं और अचानक नुकसान को शांत करने के लिए किया जाता है। विद्वानों द्वारा 18,000 बार गुप्त मंत्रों का उच्चारण कर विशेष हवन संपन्न किया जाता है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान से राहु के नकारात्मक प्रभाव शांत होते हैं, छिपी बाधाओं से राहत की दिशा मिलती है। साथ ही जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सफलता के नए द्वार खुल सकते हैं।
🌙 10,000 चंद्रमा मूल मंत्र जाप मन, भावनाओं और मानसिक स्थिरता को संतुलित करने के लिए असरदार साधना मानी जाती है। जब कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या चंद्रमा दोष उत्पन्न हों तो मानसिक तनाव, अस्थिरता, और निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस विशेष अनुष्ठान में वैदिक आचार्य 10,000 बार गुप्त मंत्रों का जाप करते हैं। जाप के साथ हवन और अर्घ्य अर्पण किया जाता है। मान्यता है कि इस साधना से चंद्रमा की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, मन को शांति मिलती है, भावनात्मक संतुलन में सुधार होता है और जीवन में सुख-समृद्धि की दिशा मजबूत हो सकती है।
🏵️ राहु चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा कुंडली में राहु और चंद्रमा के अशुभ संयोग से पैदा हुए दोषों को शांत करने के लिए कराई जाती है। जब राहु चंद्रमा पर प्रभाव डालता है, तो इसे चंद्र ग्रहण दोष कहा जाता है, जिससे मानसिक अशांति इस हद तक बढ़ जाती है कि जीवन में आगे का रास्ता दूर-दूर तक नज़र नहीं आता। मान्यता है कि राहु पैठाणी मंदिर में होने जा रहे इस अनुष्ठान से राहु-चंद्र दोष शांत होता है, मन को शांति मिलती है और जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि के बंद दरवाजे खुलने शुरू हो जाते हैं।
श्री मंदिर द्वारा श्राद्ध पूर्णिमा पर होने जा रहे इस अनुष्ठान में भाग लें और जीवन में नए और बड़े बदलावों का अनुभव करें।