ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि एवं स्थिरता के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा काशी विशेष स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप, बटुक भैरव स्तोत्र पाठ एवं हवन
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा काशी विशेष

स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप, बटुक भैरव स्तोत्र पाठ एवं हवन

ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि एवं स्थिरता के लिए
temple venue
श्री बटुक भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
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👉मार्गशीर्ष पूर्णिमा में क्यों की जाती भगवान भैरव की पूजा ?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा होता है। वहीं मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली इस तिथि का महत्व और भी अधिक हो जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान भैरव के बाल रूप श्री बटुक भैरव को धन और समृद्धि का दाता माना जाता है। मान्यता है कि पूर्णिमा पर भगवान भैरव के इस स्वरूप की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वहीं, रविवार के दिन भैरव बाबा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। भैरव का अर्थ है 'रक्षा करने वाला।' बाबा भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार हैं, जिनके दो मुख्य रूप हैं- स्वर्णाकर्षण भैरव और बटुक भैरव। बाबा भैरव के स्वरुप स्वर्णाकर्षण भैरव के लिए माना जाता है की वो भक्तों की आर्थिक समस्याओं का समाधान करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ तो उस दौरान देवी लक्ष्मी और कुबेर का धन समाप्त हो गया था। जिससे चिंतित होकर वह भगवान शिव के पास गए और उनके भैरव स्वरूपों में से एक स्वर्णाकर्षण भैरव ने उन्हें अपार धन संपदा प्रदान की जिससे देवताओं की युद्ध में विजय हुई। बाबा भैरव का यह स्वरुप महादेव की नगरी काशी में विराजमान हैं।

मान्यता है कि भगवान भैरव अपने 8 रूपों में काशी की आठ अलग-अलग दिशाओं की सुरक्षा करते हैं। इन सभी अष्ट भैरवों के अपने गुण और विशेषताएं हैं। इन्हीं भैरवों में से एक श्री स्वर्णाकर्षण भैरव जो अपने भक्तों को अपार धन-संपत्ति का आशीर्वाद दे सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार, स्वर्णाकर्षण भैरव पूजा, धन और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए की जाती है, जिससे आठ महान सिद्धियों की प्राप्ति होती है और भगवान भैरव के इस स्वरूप की पूजा से ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि एवं स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, काशी में बाबा विश्वनाथ ने ही यहां भैरव जी को काशी का कोतवाल और दंडनायक के रूप में नियुक्त किया था। महादेव की नगरी काशी में भक्तों की पूजा भैरव के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर काशी के बटुक भैरव मंदिर में इस पूजा को करने से भक्तों पर बाबा भैरव की विशेष कृपा बनी रहती है।

श्री बटुक भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश

श्री बटुक भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
महादेव की नगरी काशी में भक्तों की पूजा भैरव के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर में काल भैरव दो रूप में विराजमान है, बटुक भैरव और आदि भैरव। बटुक भैरव काल भैरव के ही ‘बाल रूप’ हैं। स्वर्णाकर्षण भैरव, भगवान भैरव जी का सात्त्विक रूप है, इन्हें धन-धान्य और संपत्ति का अधिष्ठाता माना जाता है। इनकी पूजा विपुल एवं निरंतर धन प्राप्ति के लिए की जाती है। जैसे सोना धरती के गर्भ में होता है, वैसे ही श्री स्वर्णाकर्षण भैरव हमेशा पाताल में निवास करते हैं।

माना जाता है कि स्वर्णाकर्षण साधना से भैरव जी प्रसन्न होकर भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं, और कभी धन की कमी नहीं होने देते। भगवान भैरव की साधाना करने वाले भक्त वैभवयुक्त जीवन-यापन करते हैं। यही कारण है कि आए दिन हजारों भक्त काशी में विराजित भैरव जी के पास अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और यहां से कभी कोई खाली हाथ नहीं जाता है।

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