कार्तिगई मास तमिल कैलेंडर के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। इस पवित्र मास में भक्ति का एक विशेष वातावरण होता है, जो विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस मास को शिव पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। इस वर्ष, विशेष रूप से रोहिणी नक्षत्र के संयोग में, इस मास में धार्मिक अनुष्ठान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। रोहिणी नक्षत्र चंद्र देव के अधीन होता है, और इस समय को चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए उपयुक्त माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा पर अशुभ प्रभाव होते हैं, तो इसे चंद्र ग्रह दोष कहा जाता है, जिससे भावनात्मक अस्थिरता, मानसिक तनाव और निर्णय लेने में कठिनाई उत्पन्न हो सकती है। ऐसी स्थिति में चंद्र देव की पूजा करना आवश्यक होता है, क्योंकि वे मन के स्वामी हैं और मानसिक शांति एवं स्थिरता प्रदान करते हैं। प्राचीन ग्रंथों में भगवान शिव और चंद्र देव के गहरे संबंध का उल्लेख मिलता है, जब शिव ने चंद्र देव को राजा दक्ष द्वारा लगाए गए क्षीण होने के श्राप से मुक्ति प्रदान की थी। शिव के इस आशीर्वाद के कारण चंद्र देव को क्षीण और पूर्ण चंद्र के चक्र का वरदान प्राप्त हुआ, जो उनकी पुनर्स्थापना और भगवान शिव के साथ उनके शाश्वत संबंध का प्रतीक है।
इसीलिए, कार्तिगई मास में चंद्र दोष शांति पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है ताकि चंद्र ग्रह दोष के प्रभावों को कम किया जा सके। इस विश्वास के तहत, भक्त अक्सर चावल और दूध जैसी सफेद वस्तुओं का दान करते हैं, जो चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए अर्पित किए जाते हैं। चंद्र देव का संबंध सफेद रंग से माना गया है, जो उनकी ऊर्जा को शीतलता प्रदान करता है। इसी कारण से, भक्त सफेद चावल के ढेर से शिवलिंग की स्थापना करते हैं, जिसे अन्न लिंग पूजा कहा जाता है, जो पवित्रता और भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है। सफेद चावल का यह लिंग चंद्र देव के सफेद रंग से लगाव और भगवान शिव के प्रति उनके शाश्वत संबंध को दर्शाता है, जिससे पूजा की प्रभावशीलता बढ़ती है। यह माना जाता है कि कार्तिगई मास और रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में इन पूजा-अनुष्ठानों को करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः दक्षिण भारत के तिरुनेलवेली में स्थित एत्तेलुथुपेरुमल मंदिर में इस अवसर पर अन्न लिंग पूजा और 10,000 चंद्र दोष शांति पूजाओं का आयोजन किया जाएगा। इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से सम्मिलित हों और भगवान शिव और चंद्र देव की दिव्य कृपा प्राप्त करें।