✨ साल 2025 की अंतिम कालाष्टमी का समय करीब आ गया है। यह वह रात है जब परंपरा के अनुसार देवी माँ की शक्ति अधिक सक्रिय मानी जाती है। कहा जाता है कि इस रात जीवन में चल रही रुकावटें, परेशानियाँ और नकारात्मक प्रभाव थोड़ी अधिक महसूस होती हैं। मान्यता हैं कि इस समय की गई साधना और पूजा जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा लाने का माध्यम बन सकती है। कहा जाता है कि इस पावन रात में देवी की कृपा और ऊर्जा अपने भक्तों के चारों ओर विशेष रूप से महसूस होती है। साल की अंतिम कालाष्टमी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे साल की कठिनाइयों और अवरोधों के बाद आने वाला अवसर है।
कहते हैं कि जो भी भक्त इस समय हवन और पूजा करता है, वह अपने मन, घर और कर्म के वातावरण में बदलाव महसूस कर सकता है। इसी पावन अवसर पर कालीघाट शक्तिपीठ में पंच महाविद्या महाहवन का आयोजन किया जा रहा है। कालीघाट शक्तिपीठ को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहते हैं कि यहां देवीय शक्ति अत्यंत प्रबल रूप में मौजूद रहती है और भक्तों के मन, घर और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करती है। महाहवन में पाँच शक्तियों की पूजा की जाती है, जिनका उद्देश्य जीवन के अलग-अलग हिस्सों में संतुलन और शांति लाना है—
🪷 माँ काली — भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने वाली।
🪷 माँ तारा — सुरक्षा, मार्गदर्शन और साहस देने वाली।
🪷 माँ षोडशी (त्रिपुरा सुंदरी) — मानसिक संतुलन और आनंद देने वाली।
🪷 माँ भुवनेश्वरी — विकास, समृद्धि और स्थिरता लाने वाली।
🪷 माँ बगलामुखी — बाधाओं और कठिनाइयों को शांत कर जीवन को स्थिर बनाने वाली।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस महाहवन में शामिल होकर आप इस दिव्य ऊर्जा से जुड़ सकते हैं। यह रात और यह हवन भक्तों के जीवन में शांति, सुरक्षा, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का अनुभव लाने का अवसर बन सकता है। 🙏