🔥 जीवन की चुनौतियाँ कई रूपों में सामने आती हैं। कभी यह अनजाना भय होता है, कभी छिपी हुई नकारात्मकता हमें आगे बढ़ने से रोक देती है। कभी करियर और आर्थिक संघर्ष से थकान महसूस होती है, तो कभी स्पष्टता और आंतरिक शांति की कमी रिश्तों में असंतुलन पैदा हो जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार आदिशक्ति माँ तीन रूपों में प्रकट होकर इन तीनों प्रकार की समस्याओं से राहत दिला सकती हैं। महाअष्टमी, जो नवरात्रि का सबसे शक्तिशाली दिन माना जाता है, इस दिन दिव्य काल में महाशक्तियों की ऊर्जा अपने चरम पर रहती है।
🔥 दुर्गा सप्तशती में देवी की शक्ति 3 अलग-अलग कथाओं में वर्णित है। माँ महाकाली, तमस (अंधकार और जड़ता) को हराती हैं और मधु-कैटभ जैसे असुरों का वध कर भय और गहरे मानसिक अवरोधों को दूर करती हैं। माँ महालक्ष्मी, राजस (पराक्रम और कर्मशीलता) का प्रतीक हैं। वे महिषासुर का वध कर भक्तों को जीवन की लड़ाइयों में विजय, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। माँ महासरस्वती शुद्धता और ज्ञान का स्वरूप हैं। वे शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज जैसे असुरों का नाश कर अहंकार और भ्रम को दूर करती हैं और स्पष्टता के साथ दिव्य ज्ञान प्रदान करती हैं।
🔥 इस विशेष त्रिगुण शक्ति अष्टमी महाअनुष्ठान में इसी क्रम का पालन किया जाता है। पहले माँ काली की उपासना कर नकारात्मक ऊर्जाओं और अदृश्य खतरों को शांत किया जाता है। इसके बाद माँ लक्ष्मी की आराधना कर जीवन की बाधाओं पर विजय और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। अंत में माँ सरस्वती की पूजा कर स्पष्टता, शांति और ज्ञान की कामना की जाती है। यह महाअनुष्ठान, देवी की त्रिगुण शक्ति का संयुक्त आशीर्वाद पाने का स्वर्णिम अवसर है, जो जीवन में सुरक्षा का कवच, सफलता का मार्ग और हृदय में स्थायी शांति का अनुभव कराता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजन में भाग लें और माँ काली, माँ लक्ष्मी एवं माँ सरस्वती की कृपा का अनुभव करें।