काल भैरव की कृपा से जीवन की परेशानियों और दुर्भाग्य से राहत का आशीर्वाद पाएं 🔱🔥
कलाष्टमी एक महत्वपूर्ण दिन है, जो भगवान भैरव के प्रकट होने का शुभ दिन माना गया है। यह कृष्ण पक्ष (अमावस्या से पहले की अवधि) की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन भगवान काल भैरव के अनुष्ठान से भय, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और साहस-समृद्धि का आशीष मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है और जीवन की कठिनाइयों पर विजय प्राप्ति का मार्ग मिलता है। भगवान शिव और काल भैरव का हिंदू परंपरा में गहरा संबंध है। काल भैरव, शिव जी के ही एक उग्र रूप हैं, जो समय (काल) के स्वामी हैं। ये रूप समय, न्याय और विनाश की शक्तियों का संगम है, जिन्हें सुरक्षा, न्याय और जीवन की बाधाओं से राहत पाने के लिए पूजा जाता है।
काशी में काल भैरव की पूजा विशेष महत्व रखती है। माना जाता है कि महादेव की काशी में भैरवदेव की उपस्थिति बेहद ख़ास है और यहाँ पूजा करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मध्यरात्रि (निशित काल) में काल भैरव की पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी गई है, जिससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं।
एक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के अहंकार को समाप्त करने के लिए काल भैरव के रूप में प्रकट होकर ब्रह्मा का एक सिर काटा। इसके कारण काल भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया और वह काशी में पापमुक्ति के लिए भिक्षाटन करते रहे। अंततः काशी में उनका पाप समाप्त हुआ और तब से उन्हें काशी का रक्षक (कोतवाल) नियुक्त किया गया।
श्री मंदिर के माध्यम से आप घर बैठे काशी के श्री बटुक भैरव मंदिर में कलाष्टमी की मध्यरात्रि पूजा और अभिषेक में भाग ले सकते हैं। कहते हैं कि इस अनुष्ठान में दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की शक्ति है।