🌞 सूर्य ग्रहण में महा पितृ पंच यज्ञ और पितृ महा-तर्पण है इस श्राद्ध का आखिरी अवसर… 5 महातीर्थों में पितरों की मुक्ति के लिए महायज्ञ
🌑 सूर्य ग्रहण काल में न सिर्फ सूर्य की उपासना, बल्कि पितृ तर्पण अनुष्ठान भी बेहद शुभ माने जाते हैं। महालया अमावस्या को पितरों का आह्वान करने का यह सबसे पवित्र दिन माना गया है। इस वर्ष यह दिन और भी विशेष है, क्योंकि इसका संयोग सूर्य ग्रहण से हो रहा है। ऐसी दुर्लभ स्थिति में पितृ लोक के द्वार खुलते हैं और पितरों की शांति-मोक्ष हेतु किए गए कर्म अधिक फलदायी हो जाते हैं। इसी अवसर पर सूर्य ग्रहण महा पितृ पंच यज्ञ और पितृ महा-तर्पण 5 तीर्थों में एकसाथ आयोजित किया जाएगा। माना जाता है कि इन वैदिक अनुष्ठानों से न केवल पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है, बल्कि वंशजों के जीवन से क्लेश, ऋण और पारिवारिक बाधाएं शांत होनी शुरू हो जाती हैं।
🌞 2025 का सूर्य ग्रहण
21 सितंबर 2025 को आंशिक सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। इस दिन चंद्रमा, सूर्य के लगभग 85% हिस्से को ढक लेगा। भारत और उत्तरी गोलार्ध के अधिकांश हिस्सों में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण अमावस्या के दिन पड़ेगा, जो हिंदू पंचांग के अनुसार धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, इस समय की गई सूर्य आराधना, पितृ शांति पूजा जैसे अनुष्ठान विशेष फलदायी माने गए हैं। साथ ही सर्वपितृ या महालया अमावस्या को उन सभी पूर्वजों के श्राद्ध संपन्न कराए जाने की परंपरा है, जिनके स्वर्गलोक जाने की तिथि-दिन याद नहीं है।
🌑 शास्त्रों में वर्णन है कि महालया अमावस्या पर अग्नि, सोम, यम, रुद्र और विष्णु सहित सभी देवताओं को साक्षी मानकर पितृ महा-तर्पण करने से सभी पितरों की आत्मा तृप्त होती है। यह अनुष्ठान उन पूर्वजों के लिए भी फलदायी माना गया है, जिनकी तिथि याद न हो या आप उनसे जुड़ी अहम जानकारी भूल चुके हों। मान्यता है कि इस तर्पण से पितरों को मोक्ष की सही दिशा मिल सकती है और वंशजों के जीवन में शांति, समृद्धि और पितृदोष निवारण का आशीर्वाद मिलता है।
🪶इस पवित्र अवसर पर श्री मंदिर द्वारा पंच तीर्थ अमावस्या विशेष महा-तर्पण के लिए देश के पाँच प्रमुख मोक्ष स्थल चुने गए हैं, जहाँ एक साथ विशेष पूजाएँ होंगी:
🛕 धर्मारण्य वेदी, गया – विष्णु पुराण के अनुसार यहाँ श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🛕 नर्मदा घाट – स्कंद पुराण में वर्णित, यहाँ श्राद्ध करने से पितरों की अपूर्ण इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और आत्मा को मुक्ति मिलती है।
🛕 गंगा घाट, हरिद्वार – गंगा माँ को मोक्षदायिनी माना गया है। यहाँ तर्पण और पिंडदान करने से पितरों के दुख दूर होकर आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🛕 गंगोत्री धाम: देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर स्थित है गंगोत्री धाम। गंगोत्री, गंगा नदी का उद्गम स्थल है, माना जाता है कि इस स्थान पर मां गंगा की पूजा, पितृ कर्म करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🛕 पिशाच मोचन कुंड, काशी – माना जाता है कि यहाँ किए गए अनुष्ठान पितरों को पापबंधन से मुक्त कर ऊँचे लोकों की ओर प्रस्थान का मार्ग देते हैं।