😔 क्या आपके परिवार में लगातार परेशानियाँ और झगड़े होते रहते हैं? कभी-कभी, हमें ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता।
कभी-कभी कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती, घर में अनावश्यक विवाद होते रहते हैं या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बनी रहती हैं। यह सब ऐसे प्रतीत होता है मानो कोई अदृश्य शक्ति जीवन को बाधित कर रही हो। शास्त्रों में इसे पितृ दोष का संकेत माना गया है, जिसका अर्थ है कि पितरों की आत्माएँ अशांत हैं। जैसे शाखाएँ जड़ों से जुड़ी होती हैं, वैसे ही हम अपने पितरों से जुड़े हैं। उनकी अशांति हमारे जीवन पर भी प्रभाव डाल सकती है।
सनातन धर्म में इसका उपाय बताया गया है। श्राद्ध पक्ष की एकादशी, जिसे इंदिरा एकादशी कहा जाता है, पितरों की शांति और पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन विशेष पूजा कर पितरों को तृप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में संतुलन और सुख-शांति लाने का विधान है।
इंदिरा एकादशी का महत्व राजा इन्द्रसेन की कथा से जुड़ा है। महिष्मती नगरी के राजा इन्द्रसेन एक धर्मपरायण शासक थे। एक दिन नारद मुनि उनके पास आए और यमलोक से एक संदेश लाए। उन्होंने बताया कि राजा के पिता अपूर्ण व्रत के कारण यमलोक में कष्ट भोग रहे हैं और उन्होंने संदेश भेजा है कि पुत्र इंदिरा एकादशी का व्रत करे, जिससे उन्हें मुक्ति मिल सके। राजा इन्द्रसेन ने पूर्ण श्रद्धा से व्रत रखा और उनके इस संकल्प से पिता को शांति और स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
इस कथा से प्रेरित होकर, श्राद्ध एकादशी पर काशी में किए गए अनुष्ठान और भी प्रभावी माने जाते हैं। काशी भगवान शिव की नगरी है और विश्वास है कि यहाँ किए गए पितृ कर्म पितरों को मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं।
🙏 इस श्राद्ध एकादशी पर श्री मंदिर के माध्यम से पितृ दोष शांति महापूजा और काशी गंगा आरती में सम्मिलित होकर अपने पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करें और परिवार में सुख-शांति एवं सौहार्द की कामना करें।
इसी के साथ यदि आपको अपने किसी दिवंगत-पूर्वज की तिथि याद नहीं तो महालया (सर्वपितृ) अमावस्या पर हो रहे अनुष्ठानों में भाग लेकर पुण्य के भागी बनें।