🪷 महालया अमावस्या पर यह 3 शक्तिपीठ विशेष महापूजा आपकी भावनात्मक थकान को दूर कर आंतरिक भय से निपटने का साहस और स्पष्ता दे सकती है!
आज के समय में तनाव और उलझनें सभी के जीवन में तरह-तरह से फैली हैं। बहुत लोगों को भावनात्मक थकान और अकेलापन महसूस होता है। इससे अक्सर मन में डर और उदासी घर कर जाती है। ऐसे समय में हमें माँ की मजबूत और रक्षा देने वाली कृपा की जरूरत होती है।
महालया अमावस्या बहुत शक्तिशाली दिन है। एक तरफ यह पितृ विसर्जन का दिन है, दूसरी तरफ देवी के आगमन का दिव्य स्वागत है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माँ दुर्गा की शक्ति धरती के सबसे करीब महसूस की जाती है, इसीलिए देवी पक्ष शुरू होता है और नवरात्रि के लिए भक्तों में देवी मां से जुड़े अनुष्ठान कराने की इच्छा जागृत होती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि जब देवता महिषासुर के सामने असहाय हो गए, उन्होंने अपनी शक्तियां एकत्रित कीं, जिससे एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ और माँ दुर्गा का रूप प्रकट हुआ। इसी कारण महालया को विशेष आध्यात्मिक शक्ति का समय माना गया है। माँ के आगमन की पूर्व संध्या पर तंत्र युक्त यज्ञ जैसे अनुष्ठान विशेष रूप से फलदायी माने गए हैं।
इस पावन दिन हम माँ के चार शक्तिशाली रूपों—महाविद्याओं—की आराधना करते हैं। उनकी पूजा से जीवन की सबसे बड़ी परेशानियाँ दूर हो सकती हैं। इस साधना से अटूट साहस मिलता है, जिससे नवरात्रि के सभी 9 दिन देवीमय हो जाते हैं।
🌸 माँ तारा – सबसे बड़ी विपत्तियों से पार कराने वाली करुणामयी मार्गदर्शक हैं।
🌸 माँ काली – अहंकार, अंधकार और सभी भीतरी डर का नाश करने वाली देवी हैं।
🌸 माँ त्रिपुरा सुंदरी – जीवन में सुंदरता, शांति और स्पष्टता देने वाली देवी हैं।
🌸 माँ भैरवी – सभी नकारात्मकताओं को दूर करने वाली साहसी रक्षक हैं।
यह विशेष महायज्ञ भारत के तीन पवित्र शक्तिपीठों पर होगा, जहां देवी की ऊर्जा चरम पर है:
🔸 तारापीठ मंदिर – यहां मां सती की आंख गिरी थी, यहां मां तारा की पूजा होगी।
🔸 कालीघाट मंदिर – यहां मां सती का दाहिना अंगूठा गिरा था, मां काली और मां भैरवी की पूजा होगी।
🔸 मां ललिता देवी मंदिर – यहां मां सती की उंगली गिरी थी, यहां मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा होगी।
आप श्री मंदिर द्वारा इस पवित्र अनुष्ठान से जुड़ सकते हैं। यह चिंता मुक्त होकर महाविद्याओं की शक्ति से खुद को समर्पित करने का दिव्य अवसर है।