जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब इंसान मेहनत करता है, लेकिन सफलता दूर दिखाई देती है। कभी रिश्तों में तनाव आ जाता है, तो कभी मन में अनजाना डर और बेचैनी बनी रहती है। धीरे-धीरे यह सब इंसान को थका देता है और वह भीतर से टूटने लगता है। ऐसे समय में माँ दुर्गा का स्मरण मन को संभालता है और साधक को नई शक्ति प्रदान करता है। माँ दुर्गा जोकि करुणा और शक्ति की देवी हैं। उनकी साधना केवल पूजा का हिस्सा नहीं, बल्कि यह मन और आत्मा को संतुलित करने का मार्ग है।
पौराणिक कथा कहती है कि जब महिषासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया, तब देवताओं ने माँ शक्ति का आह्वान किया। माँ ने अपने नौ स्वरूपों में प्रकट होकर उस संकट का अंत किया। यह कथा सिखाती है कि जब जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं, तो भीतर की शक्ति को जगाना ही सबसे बड़ा समाधान है। इसीलिए नवरात्रि का समय बहुत विशेष माना गया है। यह नौ दिन केवल व्रत या उत्सव के लिए नहीं, बल्कि साधना और आत्मचिंतन के लिए भी होते हैं। हर दिन माँ दुर्गा के अलग स्वरूप की पूजा साधक को नई ऊर्जा और संतुलन देती है।
लेकिन नवरात्रि के अंतिम दो दिन, अष्टमी और नवमी, सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन दिनों देवी की शक्ति अधिक प्रबल मानी जाती है और साधक को अपने जीवन की उलझनों से बाहर आने की राह दिखती है। इसी विशेष महत्व को ध्यान में रखते हुए इस शारदीय नवरात्रि में श्री मंदिर द्वारा कटरा के नवदुर्गा मंदिर और काशी के दुर्गा कुंड मंदिर में अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं। अष्टमी के दिन दुर्गा चंडी हवन और नवमी पर 51,000 दुर्गा नाम जाप दशांश हवन संपन्न होगा। इन अनुष्ठानों के माध्यम से साधक अपने मन की थकान और भय को दूर कर सकता है और माँ दुर्गा की शरण लेकर शांति और धैर्य का अनुभव कर सकता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस नवरात्रि विशेष अनुष्ठान में भाग लें। 🪷