😟 कभी-कभी जीवन एक अंतहीन संघर्ष जैसा लगता है। चाहे जितनी मेहनत करें, सफलता दूर महसूस होती है और डर या नकारात्मकता घर के चारों ओर मंडराती रहती है। शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसा प्रबल नकारात्मक ऊर्जा या बुरी नजर के कारण हो सकता है। लेकिन इसका समाधान भी है। काली चौदस की रात, जो अंधकार पर विजय पाने का पवित्र समय है, तीन उग्र शक्तियों - मां काली, भगवान भैरव और मां तारा – की संयुक्त शक्ति एक दिव्य सुरक्षा कवच बनाती है जो जीवन को बदल सकती है।
पुराणों के अनुसार काली चौदस जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, उस दिन की याद में मनाई जाती है जब भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस तिथि के निशित काल यानी मध्यरात्रि में मां काली की पूजा की जाती है। मां काली मां दुर्गा का उग्रतम स्वरूप हैं जो तुरंत ही नकारात्मकता, डर और दुष्ट शक्तियों का नाश करती हैं। उनके साथ भगवान भैरव होते हैं जो भक्तों को बाहरी खतरों से बचाते हैं और मां तारा जो बुद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं जिससे जीवन की कठिन चुनौतियों को पार किया जा सके।
🌿त्रिशक्ति महा रक्षा अनुष्ठान
कोलकाता स्थित कालीघाट शक्तिपीठ, जहाँ देवी सती के दाहिने पैर की उंगलियाँ गिरी थीं, वहाँ इस विशेष अवसर पर 3-शक्ति महा रक्षा अनुष्ठान किया जाएगा। शक्तिशाली निशित काल के दौरान विद्वान पंडित मां काली के 21,000 "क्रीं" बीज मंत्रों का जाप करेंगे, मां काली, भगवान भैरव और मां तारा का तंत्र अनुष्ठान करेंगे और महायज्ञ संपन्न करेंगे। इन तीनों शक्तियों के संयुक्त अनुष्ठान से आपके और आपके परिवार के चारों ओर सुरक्षा का घेरा बनता है, गहरी बाधाएं दूर होती हैं और धन, सफलता तथा समृद्धि का मार्ग खुलता है।
इस पवित्र रात्रि में भाग लेना भय और नकारात्मकता से बाहर निकलने का अवसर है। मां काली, भगवान भैरव और मां तारा के आशीर्वाद से जीवन में सुरक्षा, शक्ति और प्रगति का मार्ग खुलता है। श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह विशेष पूजा आपके जीवन में साहस, समृद्धि और सुरक्षा के दिव्य आशीर्वाद लाती है।