🌺 धर्म-कर्म राजयोग महायज्ञ एवं त्रिदेव-चतुर्देवता यज्ञ एक विशेष आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो जीवन में संतुलन, सफलता और सम्मान से जुड़ा माना जाता है। जब व्यक्ति अपने धर्म यानी सही मार्ग पर चलकर कर्म करता है और उसका प्रयास सही समय से मेल खाता है, तब उसे राजयोग का फल मिलता है। इसी दिव्य सामंजस्य को जगाने के लिए यह महायज्ञ आयोजित किया जा रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राजयोग तब बनता है जब शुभ ग्रह गुरु, शनि, सूर्य और बुध मिलकर व्यक्ति के जीवन में अनुकूल स्थिति बनाते हैं। गुरु ज्ञान और धर्म का प्रतीक हैं, शनि कर्म और धैर्य का सूर्य प्रतिष्ठा का और बुध समझ और संवाद का, जब ये ऊर्जाएँ सामंजस्य में आती हैं, तब व्यक्ति के प्रयासों में स्थिरता, प्रगति और मान-सम्मान का मार्ग खुलता है। यह महायज्ञ उन्हीं ऊर्जाओं को संतुलित करने और कर्म को सही दिशा देने का माध्यम है।
🕉️ इस यज्ञ में त्रिदेव और चतुर्देवता का आवाहन किया जाता है, जो जीवन के सात प्रमुख पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- ब्रह्मा नए अवसरों और भाग्य के आरंभ के प्रतीक हैं।
- विष्णु जीवन में संतुलन और स्थिरता बनाए रखते हैं।
- महेश (शिव) पुराने कर्मों के बंधन और रुकावटों को समाप्त करते हैं।
- सूर्य प्रतिष्ठा और आत्मबल देते हैं।
- इंद्र विजय और नेतृत्व के प्रतीक हैं।
- गुरु (बृहस्पति) सही मार्गदर्शन और विवेक का आधार हैं।
- चंद्र मन की शांति और भावनात्मक संतुलन प्रदान करते हैं।
🌞 यह महायज्ञ वाराणसी के पवित्र अस्सी घाट पर संपन्न किया जाएगा, जहाँ गंगा की उपस्थिति हर साधना को और अधिक शक्तिशाली बना देती है। यहाँ की दिव्य ऊर्जा कर्म, धर्म और समय इन तीनों के संतुलन को जगाने में सहायक मानी जाती है। इस यज्ञ में भाग लेकर भक्त अपने जीवन के प्रयासों को दिव्य समय के साथ जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस धर्म-कर्म राजयोग महायज्ञ एवं त्रिदेव-चतुर्देवता यज्ञ में सम्मिलित होकर, भक्त अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, संतुलन और आत्मविश्वास का अनुभव कर सकता है।