💫 कार्तिक मास का समापन काल अत्यंत पवित्र माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस मास की अंतिम तीन तिथियाँ त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा देवता, ऋषि और पितरों की विशेष कृपा प्राप्त करने का समय होती हैं। इन तिथियों को “पितृ तृप्ति काल” भी कहा गया है, क्योंकि यह वह समय है जब सूर्यदेव तुला से वृश्चिक राशि की ओर गमन करते हैं और धरती पर दिव्य ऊर्जा का प्रवाह अधिक सक्रिय हो जाता है। इस अवधि में किए गए कर्मकांड, तर्पण और दान कर्म साधारण दिनों की तुलना में कई गुना फलदायी माने जाते हैं। इसी शुभ अवसर पर गया, काशी और गोकर्ण जैसे तीन पवित्र तीर्थों में पितृ शांति महापूजा, पिंडदान और तिल तर्पण का आयोजन किया जा रहा है।
🌿 गया तीर्थ में भगवान विष्णु के चरणचिह्नों पर पिंडदान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ किया गया तर्पण और पिंडदान पितृ लोक तक सीधा पहुंचता है और आत्माओं को संतुष्टि प्रदान करता है।
🌿 काशी, जहाँ स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं, वहाँ पितृ शांति अनुष्ठान आत्मिक संतुलन और पारिवारिक सुख-शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। यहाँ किए गए तर्पण और जल अर्पण से पूर्वजों को मोक्ष की दिशा मिलती है।
🌿 गोकर्ण, जिसे “दक्षिण की काशी” कहा जाता है, वहाँ तिल तर्पण और वैदिक विधियों से किए गए कर्मकांड पितृ दोष और अधूरे कर्मों के प्रभाव को शांत करने का माध्यम माने जाते हैं। यहाँ भगवान महाबलेश्वर की कृपा से पितरों की आत्मा को शांति और वंशजों को मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि जब किसी व्यक्ति के पूर्वज अधूरी इच्छाओं या अकाल मृत्यु के कारण असंतुष्ट रहते हैं, तो उनके वंशजों के जीवन में रुकावटें, मतभेद, आर्थिक अस्थिरता और मानसिक तनाव बढ़ सकते हैं। इसलिए इन तिथियों पर विधिपूर्वक किए गए पितृ शांति महापूजा, पिंडदान और तिल तर्पण परिवार में शांति, एकता और स्थिरता लाने में सहायक माने जाते हैं।
💫 इस वर्ष श्री मंदिर के माध्यम से गया, काशी और गोकर्ण पितृ त्रि-क्षेत्र महापूजा में सहभागिता का अवसर मिल रहा है, जो पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने और परिवार में सौहार्द व संतुलन लाने का एक श्रेष्ठ आध्यात्मिक मार्ग है। ऐसा माना जाता है कि इन तीनों तीर्थों पर सामूहिक रूप से किए गए अनुष्ठान पितरों को तृप्त करते हैं और वंशजों को मानसिक, पारिवारिक और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति कराते हैं, तो देर न करें इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने का यह स्वर्णिम अवसर हाथ से न जानें दें।