जीवन कभी-कभी अनगिनत चुनौतियों के चक्र में फंसा सा लगता है। अचानक रुकावटें, बेचैनी, रिश्तों में तनाव या अप्रत्याशित बाधाएँ मन को बोझिल बना देती हैं। वैदिक ज्योतिष में इन परिस्थितियों को कालसर्प दोष से जोड़ा गया है। जब सभी सात ग्रह छाया ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तब यह दोष बनता है। यह योग कर्म संबंधी कठिनाइयों को गहरा करता है और जीवन में अस्थिरता, मानसिक अशांति और अज्ञात का भय उत्पन्न करता है।
इन बाधाओं से राहत पाने के लिए कालसर्प दोष पूजा और राहु-केतु शांति पूजा का आयोजन किया जाता है। यह विशेष अनुष्ठान राहु और केतु की ऊर्जा को शांत करने, उनके अशुभ प्रभावों को कम करने और जीवन में संतुलन स्थापित करने का साधन माना जाता है।
📿 यह पूजा क्यों विशेष है?
कालसर्प दोष पूजा विशेष रूप से उन अवरोधों और असफलताओं को कम करने के लिए की जाती है, जो अधूरे कर्म और पितृ संबंधी प्रभावों से उत्पन्न होती हैं। इसमें आहुतियाँ, मंत्रोच्चारण और प्रतीकात्मक अनुष्ठान शामिल होते हैं, जिनसे नकारात्मकता का प्रभाव घटता है और जीवन में सामंजस्य आता है। इसके साथ ही राहु-केतु शांति पूजा का उद्देश्य राहु और केतु की अशांत ऊर्जा को शांत करना है, जो भय, भ्रम और अस्थिरता के रूप में सामने आती है।
जब ये दोनों पूजन साथ किए जाते हैं, तो इनसे तीन मुख्य लाभ माने जाते हैं:
🔹 मानसिक स्थिरता: मन को शांति और स्पष्टता मिलती है, जिससे लगातार बनी चिंता कम होती है।
🔹 भय से राहत: छिपे शत्रुओं, नकारात्मक प्रभावों और संदेहों से रक्षा की प्रार्थना की जाती है।
🔹 जीवन में संतुलन: बाधाएँ कम होकर करियर, रिश्तों और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग सुगम होता है।
✨ इस विशेष पूजा का लाभ
राहु-केतु शांति सर्प दोष विशेष पूजन में सम्मिलित होकर साधक साहस, स्थिरता और कर्मजनित बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना कर सकते हैं। माना जाता है कि इन अनुष्ठानों से एक सुरक्षात्मक आभामंडल बनता है, जो भय को कम करने, आत्मविश्वास को पुनः जागृत करने और आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजन में सम्मिलित होकर जीवन में शांति, सुरक्षा और संतुलन की प्रार्थना करें।