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महाकालेश्वर मंदिर

12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग

उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत

यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित शिप्रा नदी के किनारे स्थित काफी प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को भगवान शिव के सबसे पवित्र निवास स्थान में से एक माना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा बेहद खास ज्योतिर्लिंग है। कई पौराणिक ग्रंथों और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का बड़ा सुंदर वर्णन मिलता है।

मंदिर का इतिहास

उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी है। उज्जैन में बहुत पहले यवनों का शासन था। इनके शासनकाल में कई प्राचीन धार्मिक धरोहरों को नुकसान हुआ। लेकिन मराठा शासकों ने नगर के गौरव को पुनः लौटाया। इसी दौरान इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। कहा जाता है कि अवंतिकापुरी के राजा विक्रमादित्य बाबा शिव के परम भक्त थे और भगवान शिव के ही आशीर्वाद से उन्होंने यहाँ करीब 132 सालों तक शासन किया था। आगे चलकर राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार कराया। उन्होंने महाकाल मंदिर के शिखर को पहले से ऊंचा करवाया था। इसके अलावा राजस्थान के राजाओं ने भी इस मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महाकवि कालिदास के ग्रंथ मेघदूत में महाकाल मंदिर की संध्या आरती का उल्लेख मिलता है।

मंदिर का महत्व

माना जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग स्वंयम्भू अर्थात स्वयं से उत्पन्न हुआ है । मान्यता अनुसार दूषण नामक असुर का अंत करने के लिए महाकाल यहां प्रकट हुए थे। कहते हैं कि विक्रमादित्य के समय से ही इस मंदिर के पास से कोई राजा या मंत्री रात में नहीं गुजरता था। ऐसी मान्यता भी है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है।

मंदिर की वास्तुकला

महाकालेश्वर मंदिर मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों की वास्तुकला का एक सुंदर और कलात्मक संगम है। महाकालेश्वर मंदिर मुख्य रूप से तीन भागों में बंटा हुआ है। मंदिर के ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर है, नीचे ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे महाकाल मुख्य ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। भगवान शिव के साथ ही गणेश जी, कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्तियों के भी दर्शन होते हैं। इस मंदिर के परिसर में एक बड़ा कुंड भी है जिसको कोटि तीर्थ के नाम से जाना जाता है। इस बड़े कुंड के बाहर एक विशाल बरामदा है, जिसमें गर्भगृह को जाने वाले मार्ग का प्रवेश द्वार है।

मंदिर का समय

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मंदिर खुलने का समय

03:00 AM - 11:00 PM
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भस्म आरती का समय

04:00 AM - 05:00 AM
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दद्योदक आरती का समय

07:30 AM - 08:15 AM
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भोग आरती का समय

10:30 AM - 11:15 AM
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संध्या आरती का समय

06:30 PM - 07:15 PM
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शयन आरती का समय

10:30 PM - 11:00 PM

मंदिर का प्रसाद

यहाँ पर महादेव को धतूरा, बेलपत्र, दूध, गुलाब जल, फूलों की टोकरी व बेसन के लड्डू का भोग लगाया जाता है।

यात्रा विवरण

मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है

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