हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि हमारे पूर्वज जो इस दुनिया से चले गए हैं वह इस पितृ पक्ष की 15 दिनों की अवधि में पृथ्वी पर आते हैं। इस दौरान आप उन्हें खुश कर उन्हें आमंत्रित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। वहीं श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन को महालया अमावस्या कहा जाता है, जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है अगर कोई व्यक्ति श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का किसी कारण या भूलवश श्राद्ध नहीं कर पाता है या पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो तो वो इस दिन पर श्राद्ध कर सकता है, जिससे उसके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। महालया अमावस्या को पितृविसर्जन अमावस्या, पितृ मोक्ष अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या नाम से भी जाना जाता है। पितृपक्ष का वर्णन हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों, जैसे वेद, उपनिषद और पुराणों में व्यापक रूप से मिलता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति अपने पितरों का उचित प्रकार से श्राद्ध नहीं करता, उसे जीवन में अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि जिस परिवार पर पितृ दोष होता है, उन सदस्यों को नौकरी में पदोन्नति जैसी समस्या, बच्चों के करियर और पढ़ाई में दिक्कतों तथा घर के मुख्य सदस्य को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं यह पवित्र अनुष्ठान एक साथ अगर पांच मोक्षस्थली पर की जाए तो हजार गुना अत्यधिक फल की प्राप्ति हो सकती है। तो आइए जानें महालया अमावस्या के अत्यंत शुभ पर्व पर इन पंच मोक्ष तीर्थ स्थली में पितृ पूजा का महत्व क्या है:
🛕गंगा घाट, हरिद्वार: गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि गंगा में तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद वंशजों को प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
🛕पिशाच मोचन कुंड, काशी: वाराणसी में स्थित इस कुंड का महत्व उन पितरों के लिए विशेष है, जिनकी आत्मा संसार में पाप कर्मों के कारण अशांत रहती है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से पितरों को पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है और वे स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान करते हैं।
🛕धर्मारण्य वेदी, गया: मोक्ष स्थल गया में पितृ पूजा और श्राद्ध के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। यहाँ पर पितरों के लिए किए गए अनुष्ठानों से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। यह स्थल भगवान विष्णु से जुड़ा है, जिनकी कृपा से पूर्वजों को शांति मिलती है।
🛕श्री गंगोत्री धाम, गंगोत्री धाम: गंगा नदी का उद्गम स्थल होने के कारण यह तीर्थस्थल विशेष महत्व रखता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां तपस्या की थी, इसलिए यहाँ गंगा जल का प्रभाव पितृ दोष निवारण के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
🛕नर्मदा घाट, खंडवा: नर्मदा नदी को भी मोक्षदायिनी माना गया है। नर्मदा के तट पर तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं और वंशजों का जीवन कल्याणकारी बनता है।
मान्यता है कि इस महापूजा के साथ गंगा दुध अभिषेक करने से पितरों का आशीष प्राप्त होता है। वहीं पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। ऐसे में इस पूजा में दिए गए इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं और श्री मंदिर द्वारा पहली बार आयोजित पितृ दोष शांति पंच तीर्थ महापूजा और गंगा दुध अभिषेक में भाग लें।