हिंदु वैदिक पंचाग के अनुसार, हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां काली की भी पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का ही उग्र रूप हैं। पौराणिक कथानुसार रक्तबीज नामक एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे यह वरदान प्राप्त था कि उसके खून की हर बूंद से एक नया राक्षस पैदा हो सकता था। इस वरदान के कारण रक्तबीज ने तीनों लोकों में उत्पात मचा दिया। सभी देवता उसे हराने में असमर्थ थे क्योंकि, जब भी वे रक्तबीज को घायल करते, उसके खून से कई और असुर उत्पन्न हो जाते। सभी देवताओं ने मां काली की शरण में गए और उनसे मदद मांगी। रक्तबीज का नाश करने के लिए माँ काली प्रकट हुईं और उन्होंने अपनी जीभ युद्धभूमि पर फैला दी, जिससे रक्त की कोई भी बूंद जमीन पर नहीं पाई। इस तरह, उन्होंने रक्तबीज को पुनर्जन्म से रोक दिया और उसे पराजित किया। लेकिन असुरों का संघार करते हुए मां काली का क्रोध इतना विकराल रूप धारण कर चुका था कि उन्हें शांत करना मुश्किल हो गया था। देवताओं के कहने पर भगवान शिव ने मां काली को शांत करने के कई प्रयास किए लेकिन वह हर बार विफल हुए। अंत में स्वंय भगवान शिव मां काली के मार्ग में लेट गए, जैसे ही मां काली के चरण भगवान शिव पर पड़े तो वह ठिठक गई और उनका क्रोध शांत हो गया।
भगवान शिव के ऊपर चरण रखे हुए मां काली के इस रूप का दक्षिणा काली नाम से जाना गया। मां काली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त कई तरह के मंत्रों का जाप करते हैं, जिनमें से एक है माँ काली रुद्र रूप मंत्र। यह मंत्र मां काली के दक्षिणा स्वरूप को समर्पित है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां काली के इस मंत्र का जाप करने से मां काली द्वारा भय एवं नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं यदि इस मंत्र जाप के साथ नव चंडी हवन किया जाए तो यह पूजा कई गुना अधिक फलदायी हो सकती हैं, क्योंकि नव चंडी हवन एक विशेष और शक्तिशाली अग्नि अनुष्ठान है। इस अग्नि अनुष्ठान में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसलिए नवरात्रि के पांचवें दिन के शुभ अवसर पर खंडवा स्थित श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 51,000 माँ काली रुद्र रूप मंत्र का जाप एवं शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में नव चंडी हवन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर पहली बार नवरात्रि के शुभ अवसर पर शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग में इस संयुक्त पूजा का आयोजन कर रहा है। मां काली से द्वारा भय और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस संयुक्त पूजा में भाग लें।