सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल भर में चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें शारदीय नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू वैदिक कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की पूजा के लिए सबसे शुभ समय है और इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक दुष्ट राक्षस महिषासुर से युद्ध किया था और दसवें दिन उसे पराजित किया था। यही कारण है कि भक्त इस अवधि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए रामेश्वरम में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी। भगवान राम की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें रावण पर विजय का वरदान दिया था।
नवरात्रि के दौरान मां दक्षिणा काली की भी विशेष पूजा की जाती है, जिन्हें दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां दक्षिणा काली की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं। इन्हें दक्षिणा काली कहे जाने के कई कारण हैं, जिनमें से एक यह भी है कि दक्षिण दिशा में निवास करने वाले मृत्यु के देवता यमराज मां दक्षिणा काली का नाम सुनते ही भाग जाते हैं और वे देवी के भक्तों से दूर रहते हैं। इसलिए देवी काली को दक्षिणा काली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि देवी काली के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। नवरात्रि के पावन पर्व पर तंत्र युक्त महाहवन के साथ दक्षिणा काली बीज मंत्र जाप करने से व्यक्ति को बाधाओं पर विजय पाने, निडरता, साहस और जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए नवरात्रि की शुभ शुरुआत पर कोलकाता के शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में 1,25,000 दक्षिणा काली बीज मंत्र जाप और तंत्र युक्त महाहवन का आयोजन किया जाएगा। यह मंदिर मां काली को समर्पित सबसे बड़ा मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव मां सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तो माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा इस स्थान पर गिरा था। यही कारण है कि इसे पवित्र 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस महा अनुष्ठान में भाग लें और मां काली द्वारा चुनौतियों एवं बाधाओं से राहत का आशीर्वाद प्राप्त करें।