सनातन धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ माना जाता है। साल भर में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं, जिसमें शारदीय नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की पूजा करने का सबसे पवित्र समय होता है और इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वहीं इस दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा भी की जाती है। नवरात्रि का पर्व विशेषकर शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। तंत्र शास्त्र में भगवान भैरव एवं मां काली को अत्यंत शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण बताया गया है। माना जाता है कि इस दौरान देवी काली एवं बाबा काल भैरव काल साधक की रक्षा करते हैं। वहीं इनकी साधना से सभी प्रकार की ऊपरी बाधा और तंत्र बाधा का नाश होता है। भगवान काल भैरव को भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है और उन्हें समय का देवता भी कहा जाता है। काल भैरव को काल के देवता भी कहा गया है। भैरव का अर्थ है ‘भय को हरने वाला’। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिस तरह भगवान काल भैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं, उसी तरह देवी काली माता दुर्गा का उग्र रूप हैं। इसलिए नवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव के साथ देवी काली की उपासना अत्यंत शुभ मानी गई है। माना जाता है कि इस शुभ दिन पर महा काल भैरव के साथ देवी काली की पूजा करने से भक्त के सारे भय खत्म हो जाते हैं, इसलिए देवी मां के आशीष पाने से पहले भगवान भैरव की पूजा करना भी अनिवार्य माना गया है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने सभी शक्तिपीठों की रक्षा की जिम्मेदारी भगवान भैरव को दी थी। इसलिए सभी शक्तिपीठ मंदिरों में काल भैरव का भी विशेष पूजन किया जाता है। काल भैरव के दर्शन के बिना देवी मंदिरों के दर्शन का पुण्य अधूरा माना जाता है। इसलिए नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर देवी काली का आशीष पाने के लिए उनके साथ काल भैरव की पूजा करना भी आवश्यक माना गया है। महा काल भैरव और मां काली सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट कर भक्तों को निर्भयता का आशीष देते हैं। इसलिए श्री मंदिर द्वारा नवरात्रि के दिनों में पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में महा काल भैरव पूजन और हवन एवं कालिका पूजन का आयोजन किया जा रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। श्री मंदिर के माध्यम से जीवन में निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए इस पूजा में भाग लें और काल भैरव संग देवी काली का दिव्य आशीष पाएं।